Bihar Politics: बिहार में PK की जन सुराज को मिली बड़ी ताकत, पूर्व केंद्रीय मंत्री RCP सिंह हुए शामिल
Bihar Politics : बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) के लिए इसे एक बड़ी सफलता माना जा रहा है, क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने रविवार को अपनी नवगठित पार्टी ‘आप सबकी आवाज’ (आसा) का प्रशांत किशोर के ‘जन सुराज’ अभियान में विलय कर दिया। इस कदम को बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के तौर पर देखा जा रहा है।
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, आरसीपी सिंह ने औपचारिक रूप से अपनी पार्टी का जन सुराज में विलय की घोषणा की। इस दौरान प्रशांत किशोर भी मौजूद थे। यह विलय ‘जन सुराज’ को एक अनुभवी और संगठनात्मक रूप से मजबूत नेता प्रदान करेगा, खासकर 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए। आरसीपी सिंह ने इस अवसर पर कहा कि उनका और प्रशांत किशोर का साझा लक्ष्य बिहार के लिए एक नया राजनीतिक विकल्प पेश करना है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जद (यू) सरकार पर भी जमकर निशाना साधा।
आरसीपी सिंह कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे और जद (यू) में संगठनकर्ता के तौर पर उनकी अहम भूमिका रही है। वह एक पूर्व आईएएस अधिकारी भी हैं। 2010 में राजनीति में आने के बाद वह दो बार राज्यसभा सांसद रहे और जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। 2021 में उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया, लेकिन इसके बाद नीतीश कुमार के साथ उनके संबंधों में खटास आ गई। जद (यू) छोड़ने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थामा, लेकिन फिर वहां भी उन्हें किनारे कर दिया गया। पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी ‘आप सबकी आवाज’ का गठन किया था।
प्रशांत किशोर पिछले कुछ समय से बिहार में ‘जन सुराज’ अभियान चला रहे हैं, जिसके तहत वे पदयात्राएं कर रहे हैं और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ रहे हैं। उनका उद्देश्य बिहार की समस्याओं को समझना और एक ऐसा नया राजनीतिक विकल्प तैयार करना है जो पारंपरिक दलों से अलग हो। आरसीपी सिंह जैसे बड़े नेता का उनके अभियान से जुड़ना ‘जन सुराज’ को राजनीतिक वैधता और संगठनात्मक अनुभव दोनों प्रदान करेगा।
आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर दोनों ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूर्व सहयोगी रहे हैं। अब दोनों एक साथ मिलकर नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहे हैं। आज ही प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के कल्याण बिगहा में दौरा भी है, जहां वे विकास कार्यों का “रियलिटी चेक” करेंगे। इस विलय को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है, जो राज्य के राजनीतिक समीकरणों को निश्चित रूप से प्रभावित कर सकता है।