PURNIA NEWS : शारीरिक सशक्तिकरण और मानसिक विकास की दिशा में पूर्णिया के बच्चों को एक नई राह मिल रही है। शिक्षा विभाग द्वारा संचालित संस्थान किलकारी बिहार बाल भवन, पूर्णिया में चल रहे चक धूम–धूम समर कैंप 2025 में इस बार बच्चों को दुनिया की सबसे प्राचीनतम युद्ध शैली ‘कलारीपयट्टू’ का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कलारीपयट्टू, जिसे युद्ध कलाओं की जननी कहा जाता है, मूलतः केरल की प्राचीन मार्शल आर्ट है। ‘कलारी’ का अर्थ है युद्ध का मैदान या व्यायामशाला, जबकि ‘पयट्टू’ का मतलब है युद्ध या अभ्यास। इसमें शरीर को लचीला और फुर्तीला बनाने के साथ-साथ आत्मरक्षा, हथियारों का उपयोग और मानसिक संतुलन पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक त्रिदीप शील ने बताया कि इस कार्यशाला के लिए केरल से राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक श्री दिलसागर जी को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। श्री दिलसागर कलारीपयट्टू के अनुभवी और व्यस्ततम प्रशिक्षकों में गिने जाते हैं। उनके मार्गदर्शन में बच्चों ने सिंह, मयूरी, सांप, मेंढक और मछली जैसे विभिन्न जीव-जंतुओं से प्रेरित स्टैंड्स और मूव्स को पूरे मनोयोग से सीखा। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में कुल 182 बच्चे शामिल हुए, जिन्हें श्री दिलसागर जी के साथ-साथ किलकारी के प्रशिक्षक श्री कृष्णा रावत और श्री कुमार वरुण का भी भरपूर मार्गदर्शन मिला। बच्चों में इस पारंपरिक युद्ध कला को लेकर उत्साह और लगन देखते ही बन रही थी।