PURNIA NEWS : पूर्णिया के टेटगामा गांव में एक ही रात में पांच जिंदगियों को जलाकर राख कर दिया गया। वजह? अंधविश्वास, शंका और वहशी मानसिकता। यह कोई आम हत्या नहीं, बल्कि एक सुनियोजित नरसंहार था, जिसमें एक पूरे परिवार को डायन बिसाही के शक में मौत के घाट उतार दिया गया। घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के टेटगामा (वार्ड नंबर 10) की है। बीती रात 6 से 7 जुलाई के बीच गांव के ही कुछ लोगों ने बाबू लाल उराँव (65 वर्ष) के परिवार पर धावा बोल दिया। भीड़ में शामिल लोगों का आरोप था कि बाबू लाल ने टोने-टोटके से एक युवक की जान ली है और अब वह उनके बीमार भगीना को भी नुकसान पहुँचा रहा है। यह अंधविश्वास देखते ही देखते हिंसा में बदल गया।
हमले में जिनकी मौत हुई, वे हैं –
बाबू लाल उराँव
उनकी पत्नी सीता देवी
बेटा मंजीत उराँव
बहू रानी देवी
वृद्धा कातो मोस्मात
परिवार के इकलौते किशोर सदस्य ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई और ननिहाल में जाकर पुलिस को घटना की सूचना दी। पुलिस अधीक्षक स्वीटी शेरावत के अनुसार, हमलावरों ने न सिर्फ पीट-पीट कर हत्या की, बल्कि साक्ष्य छुपाने के लिए सभी शवों को ट्रैक्टर पर लादकर 3 किलोमीटर दूर एक पोखर में गाड़ दिया। सूचना मिलते ही पुलिस-प्रशासन सक्रिय हुआ और तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया:
1. छोटू उराँव (32), ग्राम टेटगामा
2. मोहम्मद सनाउल (31), ग्राम कुमारडीह
3. नकुल उराँव (28), ग्राम टेटगामा
गिरफ्तारी के बाद तीनों ने अपने जुर्म को कबूल कर लिया है। घटनास्थल से पुलिस ने छह बोरे, गैलन डब्बा, दो मोबाइल और एक ट्रैक्टर जब्त किया है। घटना की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष मेडिकल बोर्ड द्वारा शवों का पोस्टमार्टम दंडाधिकारी की उपस्थिति में वीडियोग्राफी के साथ कराया गया है। एफएसएल टीम ने मौके से वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र किए हैं।
एसपी स्वीटी शेरावत ने बताया कि मामले की गहराई से जांच के लिए एसडीपीओ सदर के नेतृत्व में एक विशेष अनुसंधान दल (SIT) का गठन किया गया है और शेष फरार आरोपियों की तलाश जारी है। यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि समाज के भीतर जड़ जमा चुके अंधविश्वास की जघन्य परिणति भी है।