नई दिल्ली: Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहने को अपराध नहीं माना जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह की टिप्पणियों से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होतीं और इसे आईपीसी की धारा 295A के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। न्यायमूर्ति जज की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी भी टिप्पणी को सांप्रदायिक रंग देकर उसे आपराधिक कृत्य मानना ठीक नहीं होगा, जब तक कि उससे सीधे तौर पर हिंसा भड़कने या धार्मिक भावनाएं ठेस पहुंचने का प्रमाण न हो।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
“सिर्फ ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ शब्द का प्रयोग करने मात्र से यह साबित नहीं होता कि किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य था। यह टिप्पणी व्यक्तिगत मतभेद या मजाक के तौर पर ली जा सकती है, न कि संप्रदायिक द्वेष के रूप में।”
अदालत ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन इसका दुरुपयोग कर किसी विशेष समुदाय को अपमानित करने की कोशिश करना भी गलत होगा।
फैसले का असर
इस फैसले के बाद कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह भविष्य में हेट स्पीच से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण मिसाल बनेगा। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी शब्द का उपयोग अपमानजनक इरादे से किया जाता है, तो संदर्भ के आधार पर कार्रवाई हो सकती है।
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