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मुज़फ़्फ़रपुर

Bihar News: “शक्ति बाजार” से उभरी नई पहचान: बिहार के ग्रामीण महिला नेतृत्व को मिला मंच, अवसर और सम्मान

मुज़फ्फरपुर: Bihar News ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और नेतृत्व को सशक्त मंच देने के उद्देश्य से सेंटर फॉर कैटलाईजिंग चेंज (C3) द्वारा संचालित “शक्ति धारा परियोजना” के तहत “शक्ति बाजार” का भव्य आयोजन उत्तर बिहार वाणिज्य एवं उद्योग परिषद, मुज़फ्फरपुर में किया गया, जो 14 जून तक चलेगा। कार्यक्रम का उद्घाटन पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार के माननीय मंत्री ने किया और इसे महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत बताया।

इस आयोजन ने महिला उद्यमिता, पंचायत नेतृत्व और वित्तीय समावेशन को एक मंच पर एकत्र कर यह सिद्ध कर दिया कि यदि महिलाओं को अवसर, प्रशिक्षण और समर्थन मिले, तो वे समाज की दिशा तय करने वाली नेतृत्वकर्ता बन सकती हैं। “शक्ति धारा परियोजना” के अंतर्गत पंचायत भवनों में स्थापित “शक्ति सलाह केंद्र” के माध्यम से महिला मुखियाओं को उद्यमिता, करियर काउंसलिंग, डिजिटल व वित्तीय साक्षरता से जोड़कर उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

कार्यक्रम के दौरान मुज़फ्फरपुर ज़िले की 44 महिला मुखियाओं को उनके सराहनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। माननीय मंत्री ने स्वयं शक्ति बाजार के स्टालों का भ्रमण कर महिलाओं द्वारा बनाए गए अचार, मधुबनी पेंटिंग, बैग व घरेलू उत्पादों की खरीदारी की और 2500 रुपये से अधिक के उत्पाद खरीदकर उन्हें प्रोत्साहित किया।

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मुखिया गुड़िया कुमारी ने कहा, “शक्ति सलाह केंद्र और शक्ति बाजार ने हमें यह भरोसा दिया कि हम केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं कर सकते, बल्कि दिशा निर्धारण में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।” माननीय मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “यह बाजार केवल उत्पादों की प्रदर्शनी नहीं, बल्कि महिला शक्ति, आत्मनिर्भरता और सामाजिक बदलाव का प्रतीक है। आज महिलाएं उत्पादन कर रही हैं, नेतृत्व कर रही हैं और समाज को दिशा दे रही हैं। पंचायती राज विभाग राज्यभर में महिला सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।”

इस अवसर पर सी थ्री बिहार के राज्य प्रमुख श्री प्रकाश रंजन ने कहा, “यह सिर्फ एक बाजार नहीं, शक्ति की अभिव्यक्ति है। महिला मुखियाओं के नेतृत्व में ग्राम पंचायतों में जो बदलाव आ रहा है, वह आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार कर रहा है।”“शक्ति बाजार” ने यह प्रमाणित कर दिया कि बिहार की महिलाएँ केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि अब वे निर्माता, नेतृत्वकर्ता और प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं। यह आयोजन न केवल आर्थिक विकास बल्कि सामाजिक परिवर्तन की ठोस नींव रख रहा है — एक समावेशी, आत्मनिर्भर और सशक्त बिहार की ओर निर्णायक कदम।

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