Hyderabad Forest News : हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली जंगल को बचाने के लिए चल रहा आंदोलन आज पर्यावरण संरक्षण की एक नई मिसाल बन गया है। यह जंगल, जो हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के पास 400 एकड़ में फैला हुआ है, जैव विविधता का खजाना है। इसमें 455 से अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधे और वन्यजीव पाए जाते हैं, साथ ही दो प्राकृतिक झीलें और दुर्लभ ग्रेनाइट चट्टानें भी मौजूद हैं। लेकिन तेलंगाना सरकार की इस जंगल को काटकर आईटी पार्क या मेगा ईको पार्क बनाने की योजना ने इसे खतरे में डाल दिया है। इसके खिलाफ छात्रों, पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय लोगों ने एकजुट होकर विरोध शुरू किया, जो अब चिपको आंदोलन की तर्ज पर कांचा गाजीबोवली आंदोलन के रूप में जाना जा रहा है।
चिपको आंदोलन से प्रेरणा
1970 के दशक में उत्तराखंड में शुरू हुए चिपको आंदोलन ने पेड़ों को बचाने के लिए लोगों को पेड़ों से चिपकने की प्रेरणा दी थी। उसी तरह, कांचा गाचीबोवली में प्रदर्शनकारी पेड़ों को बचाने के लिए बुलडोजरों के सामने खड़े हो रहे हैं। छात्रों और कार्यकर्ताओं ने जंगल में मानव श्रृंखला बनाई और नारे लगाए, जैसे “जंगल बचाओ, जीवन बचाओ”। यह आंदोलन न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बन गया है, बल्कि विकास के नाम पर प्रकृति के विनाश के खिलाफ एक सशक्त आवाज भी उठा रहा है।
कांचा गाजीबोवली जंगल का महत्व
कांचा गाचीबोवली जंगल हैदराबाद के “फेफड़ों” के रूप में जाना जाता है। यह शहर की वायु गुणवत्ता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सैकड़ों पक्षियों, जानवरों और कीट-पतंगों का घर है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस जंगल के नष्ट होने से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा असर पड़ेगा, जिससे वन्यजीव बेघर हो जाएंगे और जलवायु संकट बढ़ेगा।
सरकार का रुख और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
तेलंगाना सरकार का दावा है कि यह क्षेत्र “जंगल” नहीं, बल्कि खाली जमीन है, जिसे विकास के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सरकार ने पहले इसे 10,000 करोड़ रुपये में नीलाम करने की योजना बनाई थी, लेकिन भारी विरोध के बाद अब इसे विश्व के सबसे बड़े ईको पार्क में बदलने की बात कही जा रही है। हालांकि, इस योजना में भी जंगल का बड़ा हिस्सा काटा जाना शामिल है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल दिया और 7 अप्रैल 2025 तक कांचा गाचीबोवली जंगल में पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को क्षेत्र का निरीक्षण करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इस फैसले को आंदोलनकारियों ने अपनी पहली जीत के रूप में देखा।
आंदोलन की गूंज
कांचा गाजीबोवली आंदोलन ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है। बॉलीवुड हस्तियों जैसे जॉन अब्राहम और मराठी नेता उद्धव ठाकरे ने भी सरकार से इस योजना को रद्द करने की अपील की है। सोशल मीडिया पर #SaveHCUForest और #SaveKanchaForest जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग जंगल की तबाही के वीडियो और तस्वीरें साझा कर रहे हैं।