Sunita Williams : “सुनीता विलियम्स के शरीर में…हर सेकंड 30 लाख रक्त कोशिकाएं नष्ट

Sunita Williams : 9 महीने और 14 दिन तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर फंसी भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बुच विलमोर आखिरकार धरती पर लौट आए हैं। दोनों ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन यान से फ्लोरिडा के पास समंदर में सुरक्षित लैंडिंग की। इनकी सुरक्षित वापसी ने पूरी दुनिया को खुश कर दिया, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि इतने लंबे अंतरिक्ष प्रवास के बाद इनके शरीर पर क्या असर हुआ होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण अंतरिक्ष यात्री की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो जाती है। इसके कारण, सुनीता और बुच को पृथ्वी पर लौटने के बाद चलने, खड़े होने और अपने शरीर को स्थिर करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

इस दौरान उनके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की 50 प्रतिशत से अधिक कमी हो गई, जिसे ‘स्पेस एनीमिया’ कहा जाता है। इन कोशिकाओं की कमी से शरीर में खून की कमी हो जाती है और पूरे शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने में परेशानी होती है। इसके अलावा, अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में हर सेकेंड में लाखों लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरे का संकेत है। इसके साथ ही, अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर के ऊपरी हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे अंतरिक्ष यात्री सूजे हुए नजर आते हैं। यही वजह है कि उन्हें पृथ्वी पर वापस लौटने के बाद अपनी दृष्टि और संतुलन को स्थिर करने में समय लगता है। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, सुनीता और बुच को बेबी फीट (तलवों की त्वचा का मोटा हो जाना), चलने में कठिनाई, चक्कर आना और बौद्धिक कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना हो सकता है।

इसी तरह के शारीरिक बदलावों से निपटने के लिए अंतरिक्ष यात्री नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं, ताकि मांसपेशियों और हड्डियों को कमजोर होने से बचाया जा सके। इन व्यायामों में ट्रेडमिल और स्थिर साइकिल का इस्तेमाल होता है, ताकि शरीर के वजन सहन करने वाली हड्डियों में घनत्व बनाए रखा जा सके। सुनीता और बुच के लिए इन बदलावों के बावजूद, अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटना बड़ी उपलब्धि है। वे इस सफर में 286 दिन बिताने के बाद, दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा दिन तक अंतरिक्ष में रहने वाली महिला वैज्ञानिक बन गई हैं। इस कठिन और चुनौतीपूर्ण मिशन के बावजूद, सुनीता ने अपनी दृढ़ता और साहस का परिचय दिया है, जो उन्हें एक प्रेरणा बना देता है। हालांकि, अब सवाल यह है कि क्या वे समय के साथ पूरी तरह से पहले जैसे हो पाएंगे या नहीं।

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