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India-Pakistan Tensions : पाकिस्तान पर मेहरबान अमेरिका: ट्रंप और PAK सेना प्रमुख मुनीर की ‘सीक्रेट क्रिप्टो डील’ जांच के घेरे में!

India-Pakistan Tensions :  अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक कथित ‘सीक्रेट क्रिप्टो डील’ इन दिनों सवालों के घेरे में है, जिसने भारत में भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार से जुड़ी एक क्रिप्टोकरेंसी फर्म और पाकिस्तान की नवगठित क्रिप्टो काउंसिल के बीच यह समझौता भारत में हुए घातक पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लॉन्च होने से ठीक पहले हुआ था। इस सौदे में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की सीधी भागीदारी होने की बात सामने आई है।   ‘वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल’ नामक इस फर्म में एरिक ट्रंप, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर और जेरेड कुशनर की कथित तौर पर 60% हिस्सेदारी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता पाकिस्तान में ब्लॉकचेन एकीकरण, स्टेबलकॉइन के विकास और डिजिटल वित्तीय परिवर्तन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। कंपनी के संस्थापक जैक्री विटकॉफ (जो अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ के पुत्र हैं) के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने इस्लामाबाद का दौरा किया था, जहां उनका स्वागत जनरल असीम मुनीर ने स्वयं किया।  

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ‘क्लोज-डोर’ मीटिंग में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे, और यहीं कथित तौर पर इस डील को अंतिम रूप दिया गया। यह समझौता अब वॉशिंगटन और नई दिल्ली दोनों जगह सवालों के घेरे में है, खासकर पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभावों को लेकर। भारत इस डील को एक ‘अस्पष्ट वित्तीय गठबंधन’ के रूप में देख रहा है, जिसके गंभीर राजनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं, खासकर मौजूदा भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच। ‘वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल’ ने एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया है कि यह समझौता पूरी तरह से आर्थिक है और इसका “कोई राजनीतिक इरादा नहीं” है। हालांकि, ट्रंप परिवार या व्हाइट हाउस की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं आई है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब भारत लगातार पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे संगठनों से पाकिस्तान को वित्तीय सहायता रोकने का आह्वान कर रहा है। इस ‘सीक्रेट डील’ से पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंधों में संभावित बदलाव और उसके भू-राजनीतिक परिणामों पर बहस तेज हो गई है।

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