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INDO-PAK TENSION : क्या IAEA लगाएगा पाकिस्तान की परमाणु शक्ति पर ‘पावर ब्रेक’? श्रीनगर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की बड़ी मांग

INDO-PAK TENSION,श्रीनगर: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज श्रीनगर से एक बड़ी मांग उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अपनी निगरानी में लेने का आह्वान किया। उनके इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की सुरक्षा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। श्रीनगर में सैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को एक ‘लापरवाह और दुष्ट राष्ट्र’ बताते हुए सवाल किया कि क्या ऐसे देश के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “आज मैं श्रीनगर की भूमि से यह सवाल उठाना चाहता हूं – क्या ऐसे गैर-जिम्मेदार और दुष्ट राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? मेरा मानना है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में ले लेना चाहिए।”

यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में तनाव बढ़ा है और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीमा पर कुछ दिनों तक झड़पें भी हुई थीं। राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान द्वारा बार-बार दी जाने वाली परमाणु धमकियों को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि भारत ने कभी भी उनकी ‘परमाणु ब्लैकमेलिंग’ की परवाह नहीं की।Bरक्षा मंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकवाद विरोधी अभियान करार दिया और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व और मार्गदर्शन में संभव हुआ। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत तब तक संभव नहीं है जब तक वह पूरी तरह से आतंकवाद पर ध्यान केंद्रित नहीं करता और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर बात नहीं करता।

राजनाथ सिंह का यह बयान एक संकेत है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की सुरक्षा के मुद्दे को उठाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, IAEA का जनादेश मुख्य रूप से उन देशों तक सीमित है जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए हैं और अपने नागरिक परमाणु कार्यक्रमों को निगरानी के तहत रखा है। चूंकि पाकिस्तान NPT का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, इसलिए उसके सैन्य परमाणु प्रतिष्ठानों का IAEA द्वारा निरीक्षण वर्तमान ढांचे के तहत सीमित है। बहरहाल, राजनाथ सिंह की इस मांग से पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने की संभावना है, खासकर ऐसे समय में जब उसकी अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है और देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है।

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