New Delhi : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 26 फीसदी “प्रतिशोधी टैरिफ” आज, 9 अप्रैल 2025 से भारत सहित कई देशों के आयात पर प्रभावी हो गया। यह टैरिफ अमेरिका के सभी व्यापारिक साझेदारों पर 5 अप्रैल से लागू 10 फीसदी आधारभूत टैरिफ के अतिरिक्त है। ट्रंप ने इसे “लिबरेशन डे” करार देते हुए कहा कि यह अमेरिकी उद्योगों को पुनर्जनन और व्यापार घाटे को कम करने की दिशा में कदम है। भारत के लिए यह टैरिफ 26 फीसदी निर्धारित किया गया है, जो यूरोपीय संघ (20%) और जापान (24%) से अधिक, लेकिन चीन (34%) और वियतनाम (46%) से कम है। आइए जानते हैं इसका भारत पर क्या असर होगा।
प्रमुख प्रभावित क्षेत्र
भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में कुछ क्षेत्रों पर इस टैरिफ का सीधा असर पड़ेगा। इनमें शामिल हैं:
- ऑटोमोबाइल और पार्ट्स: अमेरिका ने पहले ही ऑटोमोबाइल पर 25 फीसदी टैरिफ लागू किया था, और अब 26 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ से टाटा मोटर्स और समवर्धन मदरसन जैसे भारतीय ऑटो कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है। इससे मांग में कमी और उत्पादन लागत में वृद्धि संभव है।
- आईटी और टेक्नोलॉजी: भारतीय आईटी कंपनियां, जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं, को लागत बढ़ने और संभावित मंदी के कारण दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
- रसायन और आभूषण: रसायन और ज्वेलरी निर्यात, जो भारत के अमेरिकी निर्यात का बड़ा हिस्सा हैं, पर भी असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे करीब 7 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
राहत की बात
हालांकि, कुछ क्षेत्रों को राहत मिली है। फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर जैसे रणनीतिक उत्पादों को इस टैरिफ से छूट दी गई है। अमेरिका भारत से सस्ती दवाओं का बड़ा आयातक है, और इस छूट से भारतीय फार्मा कंपनियों को नुकसान नहीं होगा। इसके अलावा, भारत की अमेरिकी निर्यात पर निर्भरता जीडीपी के केवल 2.2% के आसपास है, जिससे कुल आर्थिक प्रभाव सीमित रहने की संभावना है।
आर्थिक और व्यापारिक परिदृश्य
- सीमित प्रभाव: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की विशाल घरेलू मांग और विविध निर्यात बाजार इसे बड़े झटके से बचा सकते हैं। जेपी मॉर्गन के अनुसार, यदि भारत जवाबी टैरिफ नहीं लगाता, तो जीडीपी में मामूली बढ़ोतरी भी हो सकती है। जवाबी कार्रवाई की स्थिति में 0.19% की कमी संभव है।
- मेक इन इंडिया को बढ़ावा: ऊंचे टैरिफ से भारतीय निर्माता घरेलू उत्पादन पर ध्यान दे सकते हैं, जिससे “मेक इन इंडिया” को प्रोत्साहन मिलेगा।
- बाजार प्रतिक्रिया: टैरिफ की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती गिरावट देखी गई, लेकिन फार्मा शेयरों में उछाल आया। निफ्टी ऑटो और आईटी सूचकांक में नरमी बनी हुई है।
भारत की रणनीति
भारत सरकार ने संकेत दिया है कि वह तत्काल जवाबी टैरिफ लगाने के बजाय अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत को प्राथमिकता देगी। फरवरी 2025 में पीएम नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच हुए समझौते के तहत दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने पर सहमत हुए थे। भारतीय व्यापार मंत्रालय इस टैरिफ के प्रभाव का अध्ययन कर रहा है और निर्यातकों के साथ चर्चा में जुटा है।