पूर्णिया: अगर किसी स्त्री या पुरुष को लिंग के आधार पर कोइ भेदभाव किया जाता है तो उसको सरकार या स्वास्थ्य विभाग के तरफ से क्या सहायता दी जाती है। इसके लिए जिला और राज्य स्तर पर कौन सी एजेंसी कार्यरत है, सरकार के स्तर पर क्या कानून है, इसका उल्लंघन करने पर क्या सजा हो सकती है। किसी व्यक्ति का कौन-कौन सा गतिविधि लिंग आधारित यौन हिंसा अंतर्गत आता है इसकी जानकारी सभी प्रखंड के स्वास्थ्य अधिकारियों को उपलब्ध कराने के लिए सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के पारा मेडिकल शैक्षणिक भवन में दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एकदिवसीय प्रशिक्षण के दौरान सिविल सर्जन के साथ जीएमसीएच के विशेषज्ञ चिकित्सक और सभी प्रखंड के 02 चिकित्सा अधिकारी, सहयोगी संस्था के स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे। आयोजित प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि लिंग आधारित हिंसा एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है और समाज के प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य और विकास से जुड़ा हुआ है। लैंगिक आधारित हिंसा का अर्थ है – किसी व्यक्ति पर उसके लिंग, यौन पहचान या सामाजिक भूमिका के आधार पर किया गया कोई भी नुकसान, धमकी या दुराचार। यह महिलाओं, पुरुषों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, बच्चों – सभी को प्रभावित कर सकती है, लेकिन अधिकांश महिलाएं और लडकियां इसका शिकार होती है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण, उत्पीड़न और अश्लीलता से सुरक्षा प्रदान करना है। इसके लिए सभी प्रखंड के स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है जिससे कि ऐसी स्थिति में संबंधित पीड़ितों को स्वास्थ्य सहायता प्रदान करते हुए स्वस्थ्य और सुरक्षित किया जा सके।

