सीतामढ़ी: Bihar Politics सीतामढ़ी के डुमरा फुटबॉल ग्राउंड में जन सुराज के मुखिया प्रशांत किशोर ने ऐसी बातें कही कि राजनीतिक गलियारों में सनसनी मच गई। उन्होंने सीधे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर सवाल दागा कि जब महाराष्ट्र में बिहारियों पर हमला हुआ, तो अमित शाह क्यों खामोश रहे, अब चुनाव की आहट सुनकर सीतामढ़ी आकर भाषण देना क्या जनता स्वीकार करेगी? इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग पर करारा आरोप लगाया कि भाजपा के दबाव में गरीब, वंचित और मुसलमानों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जा रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिले अधिकार के चलते वह इस साजिश को विफल करेंगे।
डोमिसाइल नीति को लेकर भी उन्होंने सरकार को बेनकाब करते हुए कहा कि बिहार के युवाओं को धोखा दिया जा रहा है; पहले लाखों बहालियां बाहर के लोगों को दी गईं और अब चुनाव के पहले दिखावा किया जा रहा है, जबकि हक तो बिहार के युवाओं को मिलना चाहिए। प्रशांत किशोर ने जोर देकर कहा कि जन सुराज की मौजूदगी से ही सरकार में डर का माहौल बन गया है, वृद्धा पेंशन और मानदेय में बढ़ोतरी इसी दबाव का नतीजा है, और अगर जन सुराज की सरकार बनी तो बिहार में किस कदर बदलाव आएगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
इस जनसभा ने साफ कर दिया कि बिहार की राजनीति में तूफान उठने वाला है और प्रशांत किशोर की तीखी जुबान ने भाजपा-नीतीश सरकार के लिए चुनौती को और भी बड़ा कर दिया है। अब सवाल ये है कि अमित शाह के सीतामढ़ी दौरे पर उठे ये सवाल कितनी दूर तक सियासी हलचल मचा पाएंगे और क्या जन सुराज की ताकत बिहार की सत्ता में असली बदलाव ला पाएगी? सभी की निगाहें अब इस राजनीतिक खेल पर टिकी हैं, जहां हर मोड़ पर नए रहस्य और सस्पेंस छुपे हैं।

