PURNEA NEWS : साहित्य, संस्कार और स्मृति की त्रयी – ‘स्मृति कलश’ का लोकार्पण बना भावनात्मक पर्व
PURNEA NEWS,नई दिल्ली — राजधानी दिल्ली स्थित सीएसओआई (के.जी. मार्ग) के प्रतिष्ठित सभागार में एमिलियोर फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक भव्य और भावनात्मक पुस्तक विमोचन समारोह में “स्मृति कलश” पुस्तक का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक लेखिका कुमकुम झा की कलम से निकली एक भावभीनी श्रद्धांजलि है, जो उन्होंने अपने दिवंगत नाना प्रोफेसर हितनारायण झा की स्मृति को समर्पित की है। प्रो. झा बिहार के शिक्षा जगत के एक गौरवमयी स्तंभ रहे हैं, जिन्होंने मैथिली साहित्य को उच्च अकादमिक स्तर पर स्थापित करने में उल्लेखनीय योगदान दिया। वे मधेपुरा स्थित टी.पी. कॉलेज में मैथिली विभाग के विभागाध्यक्ष थे, और उनकी कई रचनाएं आज भी भागलपुर और मिथिला विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध लेखक, शिक्षाविद् और पूर्व आईएएस अधिकारी मंतरेश्वर झा ने की। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शैफालिका वर्मा, जो स्वयं एक चर्चित साहित्यकार और मैथिली लेखन की जानी-मानी हस्ती हैं, उपस्थित रहीं। इस विशेष अवसर पर मंच को सम्मान प्रदान करने वालों में प्रोफेसर राजीव वर्मा और प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका एवं नृत्यांगना श्रीमती नलिनी जोशी भी शामिल थीं, जिनकी उपस्थिति ने आयोजन को कला और संस्कृति के गहरे जुड़ाव से समृद्ध किया।
पुस्तक “स्मृति कलश” न केवल एक पारिवारिक श्रद्धांजलि है, बल्कि यह मैथिली भाषा और साहित्य के लिए भावनात्मक पुनर्पाठ भी है। यह कृति शिक्षा, मूल्यों और सामाजिक चेतना के उन स्तंभों को उजागर करती है, जिन पर प्रो. हितनारायण झा का संपूर्ण जीवन आधारित रहा। कार्यक्रम के दौरान उनके पोते नितेश झा ने मंच पर उपस्थित अतिथियों का आत्मीय स्वागत करते हुए अपने नानाजी की स्मृति को जीवंत किया और बताया कि यह पुस्तक केवल स्मरण नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकल्प है, जिससे युवा पीढ़ी अपने साहित्यिक और भाषाई मूल्यों से जुड़ सके।
इस आयोजन ने न केवल साहित्य प्रेमियों को एक मंच पर एकत्र किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि कैसे स्मृतियां लेखन के माध्यम से जीवित रहती हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं। एमिलियोर फाउंडेशन का यह प्रयास साहित्य, संस्कृति और परिवार के गहरे भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बनकर सामने आया। यह विमोचन समारोह मैथिली साहित्य और भाषा प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बन गया, जिसमें अतीत की विरासत और भविष्य की दिशा दोनों ही स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुईं।