PURNEA NEWS: पूर्णिया में ग्रामीण पथों में प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग: पर्यावरण और विकास में एक कदम आगे
पूर्णिया: PURNEA NEWS रंजीत कुमार, जिला समन्वयक, जिला जल एवं स्वच्छता समिति, ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में पूर्णिया जिले में ग्रामीण पथों के निर्माण के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा लगभग 368 पथों का निर्माण किया जाएगा, जिनकी कुल लंबाई 710 किलोमीटर है। इनमें से 532.5 किलोमीटर पथों पर कालीकरण का कार्य किया जाएगा और इस निर्माण में 5781 मैट्रिक टन अलकतरा का उपयोग होने की संभावना है।
प्लास्टिक अपशिष्ट के उपयोग से 404.67 मैट्रिक टन अलकतरा की बचत होगी, जो पर्यावरण संरक्षण और संसाधनों की बचत के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम है। जिले के सदर अनुमंडल के 5 प्रखंड – पूर्णिया पूर्व, कसबा, श्रीनगर, जलालगढ़, और के०नगर के पंचायतों में निर्मित 52 अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाइयों से एकत्रित प्लास्टिक को प्रखंड श्रीनगर में स्थित प्रसंस्करण इकाई में भेजा जाता है। वहां इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पुनः उपयोग के लिए सड़क निर्माण मिक्सिंग प्लांट को उपलब्ध कराया जाता है।
मिक्सिंग प्लांट में 165 डिग्री सेन्टिग्रेट पर कंक्रीट और पत्थर के चूर्ण के साथ प्लास्टिक को गर्म कर मिलाया जाता है। इसके बाद, 120 डिग्री सेन्टिग्रेट पर गर्म सामग्री से सड़क का निर्माण किया जाता है। इस प्रक्रिया से न केवल प्लास्टिक अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान होता है, बल्कि सड़कों की गुणवत्ता और टिकाऊपन भी बढ़ता है।जनवरी 2025 में, पूर्णिया के के० नगर प्रखंड स्थित माँ कामाख्या स्थान से मध्य विद्यालय, मजरा मुस्लिम टोला भाया बखरीकोल पथ का निर्माण किया गया। इस पथ की कुल लंबाई 4.05 किलोमीटर थी, जिसमें 43.968 मैट्रिक टन अलकतरा का उपयोग किया जाना था, लेकिन उसमें से 3.08 मैट्रिक टन प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग किया गया था।
- प्लास्टिक से निर्मित सड़कों के लाभ:
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पर्यावरण अनुकूल – प्लास्टिक अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान।
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अलकतरा की खपत में कमी – इससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है।
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पथ निर्माण की लागत में कमी – प्लास्टिक के उपयोग से लागत में कमी आई है।
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पथ के स्थायित्व और टिकाऊपन में वृद्धि – सड़कों का जीवनकाल बढ़ता है।
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बारिश और बाढ़ से बेहतर सुरक्षा – पथ की संरचना मजबूती से नष्ट होने से बचती है।
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गड्ढों में कमी – सड़कों की उपरी सतह सुरक्षित रहती है।
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पथ के अनुरक्षण लागत में कमी – सड़क की देखभाल में कमी आती है।
यह पहल न केवल पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि जिले के विकास को भी एक नया दिशा देती है, और यह दिखाता है कि कैसे नवाचार और संसाधन प्रबंधन का सही उपयोग ग्रामीण पथों के निर्माण में किया जा सकता है।