PURNIA NEWS आनंद यादुका : धमदाहा अनुमंडल क्षेत्र ही नहीं बल्कि समूचे जिले में फैली बिदेशी घास ना सिर्फ यहाँ के उपजाऊ जमीनों को बंजर बनाने का काम कर रहा है | बल्कि इस बिदेशी घास के दुष्प्रभाव से यहाँ के लोगों के शरीर पर भी काफी ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता जा रहा है | सड़को के किनारे काफी मात्रा में उगे इस बिदेशी घास के सम्पर्क में आते ही लोगों का शरीर जहाँ खुजलाने लगता है | वहीं इसके दुष्प्रभाव से लोगों के शरीर में चर्मरोग होने का खतरा काफी बढ़ रहा है | जिस वजह से यहाँ के लोगों में इस समय चर्मरोग का प्रभाव काफी बढ़ा हुआ है | वहीं दूसरी तरफ काफी मात्रा में लगातार फैल रहे इस जंगली बिदेशी घास के वजह से यहाँ कि उर्वरा भूमि भी बंजर बनने कि तरफ अग्रसर हो रही है | समय रहते यदि इसे खत्म करने का काम नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब यहाँ कि सैकड़ो एकड़ भूमि में फैल रही यह बिदेशी घास इसे बंजर बना देगा | धमदाहा अनुमंडल क्षेत्र के कसमरा के चर्चित किसान सह बाका कॉलेज के प्राचार्य कौशल कुमार सिंह उर्फ झब्बो बाबु, नारायण मंडल, दमैली के चर्चित किसान अमित चौधरी, भवानीपुर प्रखंड के चर्चित किसान डा० अमित प्रकाश सिंह ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति इस बिदेशी घास को नंगे हाथों से उखाड़ने का काम करता है तो उसे चर्मरोग से ग्रसित होने का खतरा बहुत ज्यादा होगा | साथ ही किसानों ने बताया कि इस घास पर पेस्टीसाइड का प्रभाव भी नहीं के बराबर होता है और इस घास पर घास मारनेवाले दवाइयों के उपयोग के बाद भी यह नहीं मरता है | जबकि इसके बगल का अन्य खर-पतवार दवाइयों के हल्के प्रभाव से ही खत्म हो जाते हैं | काफी ज्यादा मात्रा में तेजी से फैल रहे इस बिदेशी घास को नष्ट करने के लिए वर्तमान समय में कोई कारगर उपाय नहीं होने से यहाँ कि उपजाऊ भूमि जहां बंजर होने के कगार पर पहुँच रही है | वहीं इसके प्रभाव में आकर यहाँ के लोग काफी ज्यादा चर्मरोग से ग्रसित होते जा रहे हैं |
कैसे पहुंचा बिदेशी घास :—–
जानकारों एवं बुजुर्ग किसानों ने बताया कि यह बिदेशी घास का बिज सर्वप्रथम साठ के दशक में मेक्सिको एवं अमेरिका से आयातित गेंहूँ के साथ यहाँ पहुंचा था | जिस वजह से यहाँ के रेलवे पटरियों के अगल-बगल में कुछ मात्रा में इस घास को देखा गया था | इसके बाद धीरे-धीरे यहाँ के सड़को के किनारे और खेतों में काफी मात्रा में यह बिदेशी घास फैल गया है | वहीं धमदाहा अनुमंडल क्षेत्र में आये बाढ़ के द्वारा भी यह यहाँ कि उर्वरा जमीन में काफी मात्रा में फैली थी | किसानों नें बताया कि सड़क किनारे यह बिदेशी घास सड़क निर्माण में बाहर से लाये जानेवाले गिट्टी के माध्यम से यहाँ पहुंचा है | जिस वजह से यह बिदेशी घास सड़को के किनारे काफी मात्रा में उग आया है | बताया जाता है कि सड़को के किनारे उग आये इस घास का दुष्प्रभाव काफी ज्यादा सड़को से गुजरनेवाले राहगीरों पर पड़ा है | जिस वजह से वर्तमान समय में यहाँ चर्मरोग से ग्रसित रोगियों कि संख्यां में काफी इजाफा हुआ है |
पशुओं पर डाल रहा है प्रभाव :—–
विदेशों से यहां आए इस घास में काफी ज्यादा जहरीला पदार्थ मौजूद है । कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि इस बिदेशी घास के प्रभाव से जहां पशुओं में मुंह के रोग काफी ज्यादा हो रहे हैं । वहीं इसके खाने से पशुओं में बांझपन का प्रकोप काफी ज्यादा हो रहा है । ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालकों में भी इस घास को लेकर काफी चिंता बनी हुई है ।