PURNIA NEWS किशन भारद्वाज : पूर्णिया विश्वविद्यालय ने अपने 8वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया, जिसमें शिक्षा, राष्ट्र निर्माण और शिक्षकों की भूमिका पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस विशेष अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति, जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद, छात्र-छात्राएं एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
शिक्षकों की भूमिका: राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और विश्वविद्यालय गान के साथ हुई। इसके पश्चात कुलपति विवेकानंद सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में शिक्षकों की समाज और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल ज्ञान प्रदान करने वाले नहीं होते, बल्कि वे आने वाली पीढ़ियों के भविष्य निर्माता भी होते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि शिक्षक अपने कर्तव्य से विमुख हो जाते हैं, तो इसका असर संपूर्ण पीढ़ी पर पड़ता है, जिससे राष्ट्र की प्रगति भी प्रभावित हो सकती है। कुलपति ने कहा, “हमारी शिक्षा प्रणाली को जिम्मेदारीपूर्ण और नैतिकता आधारित बनाने की सख्त आवश्यकता है। केवल पुस्तकीय ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि छात्रों में नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करना भी जरूरी है।”
छात्रों और युवाओं को सकारात्मक सोच अपनाने की प्रेरणा
समारोह में उपस्थित जिलाधिकारी पूर्णिया कुंदन कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में किसी भी बड़े परिवर्तन के लिए सकारात्मक सोच और दृढ़ निश्चय आवश्यक है। उन्होंने प्रेरणादायक उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि किस प्रकार छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने छात्रों को न केवल व्यक्तिगत सफलता प्राप्त करने, बल्कि समाज के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “आज का युवा ही कल के राष्ट्र का नेतृत्व करेगा। इसलिए हमें न केवल अपनी शिक्षा को मजबूत बनाना चाहिए, बल्कि समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को भी समझना चाहिए।”
सम्मान समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
स्थापना दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में विभिन्न सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियों ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि सामाजिक संदेश भी दिए। इसके अलावा, विश्वविद्यालय के मेधावी छात्रों एवं शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कुलपति एवं अन्य अतिथियों ने प्रमाणपत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने घोषणा की कि भविष्य में भी ऐसे प्रयास किए जाएंगे ताकि छात्रों और शिक्षकों का मनोबल बढ़ता रहे।
स्मारिका का विमोचन: विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का दस्तावेजीकरण
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं को समाहित करते हुए एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया। इस स्मारिका में विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक की विकास यात्रा को दर्शाया गया है। साथ ही, इसमें आगामी शैक्षणिक योजनाओं की जानकारी भी दी गई है। कुलपति ने इस अवसर पर कहा, “यह स्मारिका विश्वविद्यालय की यात्रा का साक्षी है और इसे देखकर हम अपनी उपलब्धियों पर गर्व कर सकते हैं। साथ ही, यह हमें आगे और बेहतर करने की प्रेरणा भी देती है।”
ज्ञान और नैतिकता: समग्र शिक्षा का महत्व
कुलपति ने अपने वक्तव्य में इस बात पर विशेष बल दिया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है, बल्कि व्यक्ति के भीतर नैतिक मूल्यों और समाज के प्रति दायित्व की भावना को विकसित करना भी है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे केवल अंक और प्रमाणपत्रों तक सीमित न रहें, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए अपनी जिम्मेदारियों को भी समझें और उसका निर्वहन करें। उन्होंने कहा, “यदि हमें एक सशक्त भारत का निर्माण करना है, तो हमें शिक्षा को केवल रोजगार प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि समाज को बदलने का माध्यम बनाना होगा।”
शिक्षा और समाज के बीच मजबूत संबंध की पुष्टि
पूर्णिया विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम ने शिक्षा, शिक्षक और समाज के बीच मजबूत संबंध को उजागर किया। कुलपति एवं अन्य अतिथियों ने शिक्षकों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और जिम्मेदारीपूर्ण शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया। जिलाधिकारी ने युवाओं को सकारात्मक सोच के साथ समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। यह आयोजन न केवल शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक प्रयास था, बल्कि छात्रों को अपने भविष्य के प्रति सजग रहने और समाज में सार्थक योगदान देने की दिशा में भी प्रेरित करने वाला रहा।
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