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PURNIA NEWS : टेटगामा नरसंहार – अंधविश्वास की आग में जला आदिवासी परिवार, राहुल गांधी और डॉ. विक्रांत भूरिया ने जताई संवेदना, न्याय और जागरूकता की मांग

PURNIA NEWS : पूर्णिया जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के टेटगामा गांव में 6-7 जुलाई 2025 की रात एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे बिहार को झकझोर दिया है। अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों के शिकार हुए एक ही आदिवासी परिवार के पांच लोगों—बाबूलाल उरांव (40), उनकी पत्नी सीता देवी (35), मां कातो देवी (65), बेटा मंजीत उरांव (25), और बहू रानी देवी (23)—को डायन-बिसाही के झूठे आरोप में पहले बेरहमी से पीटा गया, फिर पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया। इस अमानवीय अपराध को अंजाम देने के बाद उनके शवों को बोरे में भरकर ट्रैक्टर से खेत के गड्ढे में छिपा दिया गया। इस वीभत्स नरसंहार के बाद जहां पूरा गांव सदमे में है, वहीं पूरा राज्य स्तब्ध। इस घटना ने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातीय भेदभाव, सामाजिक असमानता और प्रशासनिक लापरवाही की एक कड़वी सच्चाई को सामने ला दिया है। घटना की गंभीरता को देखते हुए कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार से बात कर गहरी संवेदना जताई और भरोसा दिलाया कि न्याय की इस लड़ाई में वे उनके साथ हैं।

वहीं अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया टेटगामा गांव पहुंचे, पीड़ित परिजनों से मुलाकात की और घटना की विस्तृत जानकारी ली। डॉ. भूरिया ने इसे “मानवता पर कलंक” बताते हुए कहा कि यह केवल हत्या नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय, अंधविश्वास और दबंग मानसिकता का जिंदा उदाहरण है। उन्होंने प्रशासन और सरकार से मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच हो, सभी दोषियों को कठोरतम सजा दी जाए, पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता और सुरक्षा प्रदान की जाए, और अंधविश्वास के खिलाफ व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और सामाजिक सुरक्षा की बुनियादी सुविधाओं को तत्काल मजबूत किया जाए, ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में दोहराई न जाएं।

इस जघन्य अपराध में पुलिस ने अब तक 23 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। मुख्य आरोपी नकुल उरांव, जो खुद को तांत्रिक बताता है और गांव में भय फैलाकर अपना वर्चस्व बनाए हुए था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके साथ सहयोगी छोटू उरांव और मोहम्मद सनाउल को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है। गांव में भय और तनाव का माहौल है। आदिवासी और दलित समुदाय के लोग सामाजिक भेदभाव, गरीबी और उत्पीड़न के साये में जी रहे हैं। गांव में सड़क, पानी, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं आज भी सपना बनी हुई हैं। अंधविश्वास का अंधेरा इतना गहरा है कि जान लेना आसान और न्याय पाना कठिन हो गया है।

डॉ. विक्रांत भूरिया ने जिला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से मिलकर त्वरित कार्रवाई की मांग की और सरकार से आग्रह किया कि मृतक परिवार के आश्रितों को मुआवजा, नौकरी, और स्थायी सुरक्षा दी जाए। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस पूरे बिहार में इस घटना के खिलाफ जन-जागरूकता अभियान चलाएगी। इस मौके पर झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज उरांव, आदिवासी विकास परिषद बिहार के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र उरांव, परिषद के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष आनंद लकड़ा, कांग्रेस नेता नीरज सिंह उर्फ छोटू सिंह, कांग्रेस जिला अध्यक्ष बिजेंद्र यादव, रावण उरांव, सुरेन्द्र उरांव, लाल बहादुर उरांव, एमरॉन बड़ा, दिलीप लकड़ा, राजद नेता उपेन्द्र शर्मा, और कई स्थानीय जनप्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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