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Purnia News: सरसी थाना में कार्यरत CCTNS सहायक की संदिग्ध मौत ने उठाए कई सवाल, परिजनों ने की हत्या की आशंका, उच्च स्तरीय जांच की मांग

पूर्णिया: Purnia News पूर्णिया जिले के सरसी थाना में कार्यरत कार्यपालक सहायक (CCTNS) ललित कुमार की मौत ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक के परिजनों ने इसे आत्महत्या नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या बताया है और इस साजिश के पीछे सरसी थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष मनीष चन्द्र यादव एवं एस.आई. आयुष राज समेत अन्य पुलिसकर्मियों की संलिप्तता का आरोप लगाया है। मामले को लेकर मृतक के भाई परमेश्वर लाल दास ने पुलिस उपमहानिरीक्षक, पूर्णिया को एक विस्तृत पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की है।

परिजनों का कहना है कि मृतक ललित कुमार का शव जिस स्थिति में पाया गया, वह आत्महत्या की बजाय हत्या की ओर संकेत करता है। शव का एक पैर जमीन से सटा हुआ था, घुटने मुड़े हुए थे और शरीर के विभिन्न हिस्सों—पैर, जांघ, चूतड़ एवं पीठ पर मारपीट के स्पष्ट निशान मौजूद थे। उन्होंने दावा किया कि मौत के बाद शव को फंदे से लटका कर इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई, ताकि असलियत छुपाई जा सके।

परमेश्वर लाल दास ने अपने आवेदन में कहा है कि जिस थाना क्षेत्र में हत्या की आशंका जताई जा रही है, उसी थाना के अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं, जो स्वयं संदेह के घेरे में हैं। ऐसी स्थिति में निष्पक्ष जांच की संभावना ही नहीं रह जाती। उन्होंने मांग की है कि सरसी थाना कांड संख्या-113/2025 की जांच को किसी वरीय और स्वतंत्र पुलिस अधिकारी को सौंपा जाए, जिससे मामले की सत्यता उजागर हो सके और दोषियों को कानून के तहत सख्त सजा दी जा सके।

आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर आरोपी पुलिस अधिकारी—थानाध्यक्ष मनीष चन्द्र यादव, एसआई आयुष राज एवं अन्य—जमानत या सेवा में रहते हैं, तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया बाधित होगी। परिजनों ने इस पूरे मामले की जानकारी राज्यपाल, मुख्यमंत्री, बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग, गृह विभाग के प्रधान सचिव, पुलिस महानिदेशक, जिला पुलिस अधीक्षक एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, बनमनखी को भी दी है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस गंभीर मामले को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और न्याय के लिए सशक्त कदम उठाए जाएंगे।

इस हृदयविदारक घटना ने न सिर्फ मृतक के परिजनों, बल्कि स्थानीय जनता के बीच भी भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल है कि यदि पुलिस विभाग में कार्यरत एक कर्मी के साथ इस प्रकार की घटना हो सकती है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या गारंटी है? अब देखना यह है कि पुलिस विभाग और प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या वास्तव में दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।

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