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अगले पांच वर्षों तक भीषण गर्मी, सूखा और बाढ़ का खतरा; WMO की रिपोर्ट में चेतावनी

WMO ,नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र की विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अगले पांच वर्षों (2025–2029) के दौरान वैश्विक तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि की आशंका जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यह अवधि अब तक की सबसे गर्म हो सकती है और इसके दौरान बाढ़, सूखा और जंगलों में आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति में रिकॉर्ड स्तर तक इज़ाफा हो सकता है।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें:

  • “ग्लोबल एनुअल टू डेकेडल क्लाइमेट अपडेट 2025–2029” नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक औसत तापमान इस अवधि में पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850–1900) की तुलना में 1.2°C से 1.9°C तक अधिक हो सकता है।

  • 86% संभावना है कि अगले पांच वर्षों में से कम से कम एक वर्ष पेरिस जलवायु समझौते के 1.5°C के लक्ष्य को पार कर जाएगा। यह संभावना 2020 में 40% थी।

  • 70% संभावना है कि 2025–2029 की पूरी अवधि में औसत तापमान 1.5°C से ऊपर बना रहेगा।

आर्कटिक में तापमान वृद्धि का खतरा तीन गुना अधिक

रिपोर्ट के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र में सर्दियों के महीनों (नवंबर से मार्च) के दौरान तापमान में वैश्विक औसत की तुलना में तीन गुना से अधिक वृद्धि होने की संभावना है। इन महीनों में तापमान में 2.4°C तक की बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है।

भारत और दक्षिण एशिया में बढ़ेगा जोखिम

WMO ने कहा है कि भारत सहित दक्षिण एशिया में इस अवधि के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा और शुष्क मौसम दोनों की संभावना है, जिससे बाढ़ और सूखा दोनों की घटनाएं बढ़ सकती हैं। 80% संभावना है कि अगले पांच वर्षों में से कोई एक वर्ष 2024 को भी पीछे छोड़ देगा, जिसे अब तक का सबसे गर्म वर्ष माना जा रहा है।

WMO का वक्तव्य

WMO के उप महासचिव को बैरेट ने कहा, “हमने हाल ही में पृथ्वी के दस सबसे गर्म वर्षों का अनुभव किया है, और दुर्भाग्यवश इस रिपोर्ट में भविष्य में किसी राहत का संकेत नहीं है। इसका प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था, जैव विविधता, मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्रों पर गंभीर रूप से पड़ेगा।”

तत्काल वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि तापमान में हर अतिरिक्त वृद्धि के साथ-साथ लू, भारी वर्षा, सूखा, हिमनदों और समुद्री बर्फ का पिघलना, समुद्र का स्तर बढ़ना और महासागरों का गर्म होना तेज़ी से बढ़ेगा। यह जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को रेखांकित करता है और सरकारों, उद्योगों और समुदायों को तत्काल और बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने की आवश्यकता बताता है।

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