SAHARSA NEWS,अजय कुमार : आधुनिक व पौराणिक महत्व के अद्भुत समन्वय को अपने जीवन चरितार्थ कर रहें शंभूनाथ झा पंडा।शिवनगर गांव के पंडा शंभूनाथ झा वर्तमान मे चर्चित सौराठ सभा परिसर स्थित सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर के पुजारी है।वे आधुनिक युग मे अध्यात्मवाद व भौतिकवाद के समन्वय स्थापित कर अपने कर्मकांड पालन के साथ समाज व राष्ट्र सेवा मे सतत तल्लीन है।वे आज भी नियमित खड़ाऊ धारण कर रहें है।वही आवागमन में स्कूटी का प्रयोग कर रहें है।शंभूनाथ झा नें कहा कि मिथिला की भूमि ऋषि मुनियों एवं विद्वानों सें भरी हुई है।जहां मनुष्य को जीवन जीने के लिए आचार विचार रहन-सहन रीति-रिवाज वेश भूषा खान-पान धर्म अध्यात्म व दर्शन को प्रतिस्थापित किया।जिसके कारण सनातन धर्म हजारों वर्ष की गुलामी के बावजूद यह कायम रहा।उन्होंने कहा खड़ाऊ का उपयोग संतों, पुजारियों, और धार्मिक अनुष्ठानों में अवश्य किया जाता है।खड़ाऊ भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।उन्होंने कहा कि खड़ाऊ पहनने से शारीरिक और मानसिक थकान दूर होती है।वही पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। खड़ाऊ पहनने से शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से होता है और रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है।पैरों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।मानसिक और शारीरिक थकान दूर होती है।रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है।शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से होता है।ऐसे मे लोगों को अवश्य नियमित खड़ाऊ धारण अवश्य करना चाहिए।उन्होंनें कहा खड़ाऊ का प्रयोग नही करने के कारण आधुनिक युग में लोग एक्युप्रेशर और अन्य थैरेपी का सहारा लेना पड़ रहा है।