जोधपुर से विशेष संवाददाता: 27 साल पुराने काले हिरण शिकार मामले में एक बार फिर सलमान खान का नाम सुर्खियों में है — लेकिन इस बार वह बेबस नहीं, बल्कि पूरी ताक़त और तैयारी के साथ अदालत में उतरने को तैयार हैं। राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार को हुई अहम सुनवाई में अदालत ने सलमान की अपील को सभी लंबित याचिकाओं के साथ जोड़कर एक साथ सुनवाई का आदेश दिया है। अब 22 सितंबर को यह मामला निर्णायक मोड़ पर पहुंच सकता है।
सलमान का आत्मविश्वास – अदालत में फिर ‘दबंग’ अंदाज़
कई सालों से इस केस को झेलने के बावजूद सलमान खान ने कभी भी हार नहीं मानी। फिल्मों की तरह ही वह अदालत में भी अडिग रहे। चाहे जेल की सजा हो या अपीलों की लंबी कतार — सलमान हर सुनवाई में पेश हुए, और अब एक बार फिर अपनी कानूनी टीम के साथ मैदान में हैं। सूत्रों के अनुसार, सलमान की तरफ से बेहद मज़बूत दलीलें तैयार की गई हैं जो इस बार केस को निर्णायक दिशा में मोड़ सकती हैं।
सभी को एक साथ कटघरे में लाने का आदेश
हाईकोर्ट ने अब सैफ अली खान, तब्बू, नीलम, सोनाली बेंद्रे और दुष्यंत सिंह को निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को भी सलमान की अपील के साथ जोड़ दिया है। जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की पीठ ने स्पष्ट किया कि सभी पक्षों की दलीलें एकसाथ सुनी जाएंगी ताकि कोई भ्रम या असंगति न रहे।
22 सितंबर – फैसला या फिर एक और मोड़?
कोर्ट ने साफ किया है कि सभी अपीलों की क्रम संख्या एकत्र कर CJM कोर्ट से मंगाई जाएगी ताकि सुनवाई में कोई देरी न हो। 22 सितंबर को सभी पक्ष एक मंच पर होंगे और उस दिन बहस पूरे जोरों पर होगी। यह तारीख सलमान खान के लिए निर्णायक साबित हो सकती है — या तो राहत, या फिर नई कानूनी जंग की शुरुआत।
सलमान बनाम सिस्टम – एक मिसाल
जहां बॉलीवुड के कई सितारे मुश्किल आते ही चुप हो जाते हैं, वहीं सलमान खान इस केस में लगातार कोर्ट में हाज़िर होते रहे। उन्होंने इस केस को कभी नजरअंदाज नहीं किया और हर बार अपनी कानूनी टीम के साथ मजबूती से खड़े रहे। अब एक बार फिर वह अपनी बेगुनाही साबित करने को तैयार हैं — इस बार पूरे आत्मविश्वास, ताकत और ‘टाइगर’ वाले तेवर के साथ।
इस बार सलमान का अंदाज़ अलग है, और कानूनी मोर्चा भी बड़ा। सवाल यह है कि क्या 22 सितंबर को अदालत उनके हक में कोई बड़ा फैसला देगी? क्या दबंग फिर अदालत में जीत का पंच मारेगा?
जवाब जल्द मिलेगा, लेकिन एक बात तय है — सलमान खान झुकने वालों में नहीं, लड़ने वालों में हैं।

