Signal Gate : एक गलती से लीक हुई हूती हमले की सीक्रेट चैट, ट्रंप का वॉर प्लान कैसे आया दुनिया के सामने?
Signal Gate : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में एक हैरान करने वाली सुरक्षा चूक ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। ट्रंप के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों द्वारा हूती विद्रोहियों पर हमले की योजना को लेकर की गई संवेदनशील चर्चा एक सिग्नल ग्रुप चैट में लीक हो गई, जिसमें गलती से ‘द अटलांटिक’ मैगजीन के संपादक जेफरी गोल्डबर्ग को शामिल कर लिया गया। इस घटना ने अमेरिकी प्रशासन की गोपनीयता और सुरक्षा प्रक्रियाओं पर सवाल उठा दिए हैं।
क्या हुआ था?
11 मार्च को जेफरी गोल्डबर्ग को सिग्नल पर एक अनजान नंबर से कनेक्शन रिक्वेस्ट मिली, जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज के नाम से थी। दो दिन बाद, 13 मार्च को उन्हें “हूती पीसी स्मॉल ग्रुप” नाम के चैट में जोड़ा गया। 15 मार्च को सुबह 11:44 बजे (ईटी), रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने इस ग्रुप में एक “टीम अपडेट” भेजा, जिसमें यमन पर हमले की विस्तृत योजना थी। इसमें F-18 जेट्स और MQ-9 ड्रोन के उड़ान समय, हमले की शुरुआत और लक्ष्यों की जानकारी शामिल थी। दो घंटे बाद, ठीक 1:45 बजे, यमन की राजधानी सना में धमाकों की खबरें सामने आईं।
कैसे लीक हुई योजना?
यह चैट 18 सदस्यों का समूह था, जिसमें उपराष्ट्रपति जेडी वैंस, रक्षा सचिव पीट हेगसेथ, विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड और CIA निदेशक जॉन रैटक्लिफ जैसे बड़े नाम शामिल थे। माइकल वाल्ट्ज ने गलती से गोल्डबर्ग को इस संवेदनशील चैट में जोड़ दिया। गोल्डबर्ग ने शुरू में इसे मजाक समझा, लेकिन जब हमले की खबरें सच साबित हुईं, तो उन्होंने इसे दुनिया के सामने लाने का फैसला किया। ‘द अटलांटिक’ ने 24 मार्च को पहला लेख छापा और 26 मार्च को चैट का पूरा ट्रांसक्रिप्ट प्रकाशित किया।
क्या था प्लान में?
चैट में हेगसेथ ने लिखा, “1215et: F-18s लॉन्च (पहला स्ट्राइक पैकेज), 1345: ट्रिगर बेस्ड F-18 स्ट्राइक विंडो शुरू (टारगेट टेररिस्ट अपनी ज्ञात लोकेशन पर है)।” इसमें हूती ठिकानों पर हमले का समय और हथियारों का ब्योरा था। वैंस ने इसे “यूरोप को फायदा पहुँचाने वाला” कदम बताते हुए कुछ आपत्ति जताई, लेकिन अंत में टीम के फैसले का समर्थन किया। हमले को ट्रंप की “ईरान को कड़ा संदेश” देने की रणनीति के तौर पर देखा गया।
ट्रंप और प्रशासन की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने 24 मार्च को कहा, “मुझे इसके बारे में कुछ पता नहीं। अटलांटिक कोई खास मैगजीन नहीं है।” बाद में 26 मार्च को ओवल ऑफिस में उन्होंने इसे “विच हंट” करार दिया और कहा, “यह जानकारी क्लासिफाइड नहीं थी। हमला बेहद सफल रहा।” रक्षा सचिव हेगसेथ ने गोल्डबर्ग पर “झूठ फैलाने” का आरोप लगाया और दावा किया कि “कोई वॉर प्लान नहीं भेजा गया।” व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह “नीति चर्चा” थी, न कि गोपनीय जानकारी।
विवाद और सवाल
यह घटना, जिसे “सिग्नल गेट” कहा जा रहा है, अमेरिकी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी संवेदनशील बातचीत सिग्नल जैसे कमर्शियल ऐप पर नहीं, बल्कि सुरक्षित सरकारी चैनलों पर होनी चाहिए थी। डेमोक्रेट्स ने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमला” बताते हुए हेगसेथ के इस्तीफे की माँग की है। सीनेटर तैमी डकवर्थ ने कहा, “यह अक्षमता खतरनाक है।” वहीं, कुछ रिपब्लिकन ने इसे “गलती” मानकर बचाव किया।
आगे क्या?
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने माना कि चैट “प्रामाणिक” थी और जाँच की बात कही। इस लीक ने न सिर्फ ट्रंप प्रशासन की विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचाया, बल्कि मध्य पूर्व में तनाव बढ़ाने की आशंका भी जताई जा रही है। दुनिया की नजर अब इस बात पर है कि इस चूक का जवाबदेही कौन लेगा और अमेरिका इसे कैसे सुधारेगा।