TAMIL NADU ; हिंदी से इतनी नफरत! तमिलनाडु सरकार ने हटाया रुपये का चिह्न,

TAMIL NADU ; तमिलनाडु सरकार ने हिंदी भाषा के खिलाफ अपने अभियान को और तेज करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने अपने बजट दस्तावेजों से भारतीय रुपये के प्रतीक (₹) को हटा दिया है और इसकी जगह तमिल भाषा के प्रतीक का उपयोग किया है। यह कदम राज्य सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के विरोध के बीच उठाया गया है, जिसे वह हिंदी को बढ़ावा देने का प्रयास मानती है।

स्टालिन का केंद्र पर हमला

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र सरकार पर एनईपी को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनईपी का उद्देश्य भारत के विकास के बजाय हिंदी को बढ़ावा देना है और यह शिक्षा नहीं, बल्कि “भगवाकरण” की नीति है। स्टालिन ने यह भी दावा किया कि एनईपी तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर देगी।

एनईपी का विरोध

तमिलनाडु सरकार लंबे समय से एनईपी का विरोध कर रही है। राज्य के शिक्षा मंत्री पलानीवेल त्यागराजन ने एनईपी को लागू करने को “असंभव” बताया है, क्योंकि इसके लिए पर्याप्त धन और बुनियादी ढांचे की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि यह नीति एक एलकेजी छात्र और उच्च शिक्षा छात्र को एक ही तरीके से पढ़ाने जैसी है।

भाषा विवाद

यह कदम केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच चल रहे भाषा विवाद की पृष्ठभूमि में आया है। तमिलनाडु सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार हिंदी को थोपने का प्रयास कर रही है, जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि एनईपी बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है और राज्यों को अपनी भाषा चुनने की अनुमति देती है।

प्रतिक्रियाएं

तमिलनाडु सरकार के इस कदम पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई हैं। भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने मंत्री त्यागराजन की आलोचना करते हुए कहा कि उनके अपने बेटों ने अंग्रेजी और विदेशी भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की है, तो वे एनईपी का विरोध क्यों कर रहे हैं।

यह घटनाक्रम तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच चल रहे तनाव को दर्शाता है और आने वाले समय में इस मुद्दे पर और बहस होने की संभावना है।

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