मुंबई: 7 अगस्त की शाम, मुंबई की फिज़ा में एक अजीब सी खामोशी थी। शेरा—Salman Khan के सबसे भरोसेमंद बॉडीगार्ड—ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी। आंखों में आंसू, दिल में तूफान… लेकिन चेहरा फिर भी मज़बूत। इस ग़म की घड़ी में सबकी एक ही सोच थी—क्या सलमान आएंगे? और फिर… उसी रात, अंधेरे में एक कार शेरा के घर के बाहर आकर रुकती है। टाइट सिक्योरिटी में सलमान खान खुद उतरे। दरवाज़ा खुला, और सामने शेरा—मायूसी में भी सजग, जैसे आज भी ड्यूटी पर हों।
सलमान ने एक नज़र में सब समझ लिया, कुछ कहा नहीं, बस बढ़कर शेरा को गले लगा लिया। वो लम्हा सिर्फ एक झप्पी नहीं थी, वो था सालों की वफ़ादारी और रिश्ते की गहराई का इम्तिहान। शेरा टूटे हुए थे, लेकिन सलमान के लिए फिर भी ढाल बनकर खड़े रहे। इस मुलाकात में न कोई कैमरा था, न कोई बयान—सिर्फ एक खामोश रिश्ता, जो हर तूफान में अडिग खड़ा है।

