पूर्णिया: जन सुराज के संस्थापक Prashant Kishor ने पूर्णिया में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर बिहार के आगामी राजनीतिक परिदृश्य को लेकर अपने विचार साझा किए। यह प्रेस कांफ्रेंस पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह के घर पर आयोजित की गई थी, जिसमें जन सुराज के जिला अध्यक्ष अजित सिंह और पार्टी के कई कार्यकर्ता भी मौजूद थे। प्रशांत किशोर ने बताया कि सीमांचल क्षेत्र में अब तक उनकी पदयात्रा शुरू नहीं हो पाई थी, लेकिन अब यह यात्रा पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार और अररिया जिलों में शुरू की जाएगी। इस यात्रा का नेतृत्व पूर्व सांसद उदय सिंह के मार्गदर्शन में किया जाएगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि आने वाले दो महीनों में इन क्षेत्रों में वे और उनकी पार्टी का संगठन अधिक सक्रिय दिखाई देंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि जैन सुराज पार्टी बिहार के 243 विधानसभा सीटों में से कोसी और सीमांचल क्षेत्रों में बेहतरीन विकल्प पेश करेगी।
प्रशांत किशोर ने बिहार में जारी राजनीतिक परिदृश्य पर भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लालू यादव और नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार के लोग लालू यादव के ‘जंगल राज’ के डर से मजबूरी में नीतीश कुमार और भाजपा को वोट देते हैं। इसी प्रकार, मुसलमानों का एक वर्ग भी भाजपा के डर से राजद को वोट करने पर मजबूर होता है। उनका कहना था कि जैन सुराज पार्टी का उद्देश्य इस प्रकार की ‘विकल्पहीनता’ को समाप्त करना है, ताकि लोग सही और ईमानदार विकल्प चुन सकें। प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य बंधुआ मजदूरी को खत्म करना और बिहार से पलायन को रोकना है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मानना है कि बिहार के विकास के लिए एक मजबूत, ईमानदार और सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है, जो शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दे।
इसके अलावा, प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी की स्थापना के उद्देश्य के बारे में बताया कि यह केवल एक चुनावी प्रयास नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पूरे बिहार में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बदलाव लाना है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जो वादे पदयात्रा के दौरान किए गए थे, उन्हें बिना किसी समझौते के पूरा किया जाएगा। चाहे यह चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों न हो, जन सुराज पार्टी बिहार के बेहतरीन भविष्य के लिए हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहेगी, चाहे इस प्रयास में दो साल लगे या दस साल। प्रशांत किशोर का कहना था कि इस यात्रा और उनकी पार्टी की स्थापना बिहार में विकल्पहीनता को समाप्त करने और राज्य के विकास के नए आयामों को जोड़ने का एक प्रयास है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बिहार के लोग अब अपनी राजनीतिक सोच में बदलाव लाएंगे और सशक्त, ईमानदार नेतृत्व का चुनाव करेंगे।
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