नई दिल्ली: Tahawwur Rana Investigation मुंबई में 2008 में हुए भीषण आतंकी हमलों के पीछे मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल तहव्वुर हुसैन राणा को लेकर एनआईए की जांच ने नए और गंभीर खुलासे किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, तहव्वुर राणा पूछताछ में पूरी तरह सहयोग नहीं कर रहा है, लेकिन शुरुआती जानकारी से यह साफ हुआ है कि उसका संबंध न केवल पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई से था, बल्कि वह लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-इस्लामी जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ था।
राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचबुतनी गांव में हुआ था, उसके पिता एक स्कूल में प्रिंसिपल थे और उसका एक भाई सेना में मनोचिकित्सक और दूसरा पत्रकार है। उसने हसन अब्दाल के कैडेट कॉलेज से पढ़ाई की, जहां उसकी दोस्ती डेविड हेडली से हुई, जो बाद में 26/11 हमलों की साजिश में उसका अहम साथी बना। 1997 में राणा अपनी डॉक्टर पत्नी के साथ कनाडा चला गया, जहां उसने इमिग्रेशन सेवाओं और हलाल मीट का कारोबार शुरू किया।एनआईए को यह भी पता चला है कि राणा को पाकिस्तानी फौज की वर्दी से खास लगाव था और सेना से रिटायर होने के बावजूद वह अक्सर वर्दी या मिलिट्री जैसे कपड़े पहनकर सज्जाद मीर और मेजर इकबाल जैसे संदिग्ध लोगों से मिलने जाया करता था।
वह इन बैठकों के दौरान पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के अधिकारियों के साथ मिलकर आतंकी गतिविधियों की योजनाएं बनाता था और कई बार आतंकी संगठनों के ट्रेनिंग कैंपों का दौरा भी कर चुका है। उसकी भारत विरोधी मानसिकता, कट्टरपंथी संपर्क और आतंकियों के साथ नजदीकी उसे एक अत्यंत खतरनाक साजिशकर्ता के रूप में सामने लाती है। फिलहाल तहव्वुर राणा एनआईए की 18 दिन की कस्टडी में है और भारत की जांच एजेंसी इस दौरान उससे 26/11 हमलों की साजिश, उसके नेटवर्क और विदेशी आतंकियों के साथ संबंधों को लेकर गहराई से पूछताछ कर रही है। इस मामले पर अमेरिका की भी नजर बनी हुई है, क्योंकि हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों की भी जान गई थी। भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग अब और मजबूत होने की संभावना है।