7 खिड़कियों से दिखता है पूरा ब्रह्मांड… क्या है Cupola Module, जिससे शुभांशु ने देखा स्पेस? जानिए इसकी खासियत
7 खिड़कियों से दिखता है पूरा ब्रह्मांड… क्या है Cupola Module, जिससे शुभांशु ने देखा स्पेस? जानिए इसकी खासियत
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में Axiom-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचे हैं, ने वहां से पृथ्वी और ब्रह्मांड के अद्भुत नज़ारों को कैद किया है। इन विस्मयकारी दृश्यों को देखने का मुख्य केंद्र ISS का प्रसिद्ध “कपोल मॉड्यूल” (Cupola Module) है, जिसे “अंतरिक्ष की खिड़की” भी कहा जाता है। आइए जानते हैं क्या है यह मॉड्यूल और इसकी क्या-क्या खूबियां हैं:
क्या है Cupola Module?
कपोल (Cupola) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) का एक ऑब्जर्वेशन मॉड्यूल है, जिसे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने बनाया है। इसका नाम इतालवी शब्द “Cupola” से आया है, जिसका अर्थ “गुंबद” होता है। यह एक गुंबद के आकार की संरचना है जिसमें कुल सात खिड़कियां हैं – छह खिड़कियां अगल-बगल और एक बड़ी गोलाकार खिड़की शीर्ष पर। यह ISS पर अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी और अंतरिक्ष का 360 डिग्री मनोरम दृश्य प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
शुभांशु शुक्ला और Cupola Connection:
हाल ही में जारी की गई तस्वीरों में, शुभांशु शुक्ला को कपोल मॉड्यूल से पृथ्वी के नीले रंगों और बादलों को निहारते हुए देखा गया है। उन्होंने इस मॉड्यूल को अपना “कॉस्मिक फोटोग्राफी स्टूडियो” बताते हुए कई शानदार तस्वीरें ली हैं। यह दर्शाता है कि कपोल ISS पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए कितना महत्वपूर्ण स्थान है, जहां वे वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ-साथ ब्रह्मांड के सौंदर्य को भी आत्मसात कर सकते हैं।
Cupola Module की खासियतें:
- अद्वितीय दृश्य: कपोल अपनी सात बड़ी खिड़कियों के कारण अद्वितीय है। इसमें एक केंद्रीय गोलाकार खिड़की 80 सेंटीमीटर (लगभग 31 इंच) व्यास की है, जो इसे अंतरिक्ष में अब तक की सबसे बड़ी खिड़की बनाती है। यह अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के घूमते हुए आश्चर्यजनक और पैनोरमिक दृश्य प्रदान करती है।
- वैज्ञानिक अवलोकन: इन खिड़कियों का उपयोग पृथ्वी के मौसम, पर्यावरणीय परिवर्तनों और विभिन्न भूवैज्ञानिक विशेषताओं के वैज्ञानिक अवलोकन के लिए किया जाता है। अंतरिक्ष यात्री अक्सर कैमरे लेकर पृथ्वी के ऊपर से गुजरते हुए महत्वपूर्ण स्थलों और घटनाओं की तस्वीरें लेते हैं।
- डॉकिंग और स्पेसवॉक निगरानी: कपोल का उपयोग अंतरिक्ष यान के डॉकिंग और अनडॉकिंग ऑपरेशन को देखने के लिए किया जाता है। यह स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में चहलकदमी) के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की गतिविधियों की निगरानी के लिए भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है।
- रोबोटिक आर्म नियंत्रण: कपोल में ISS के रोबोटिक आर्म (कनाडाआर्म2) को नियंत्रित करने के लिए एक कार्यस्थल (workstation) भी है। यह अंतरिक्ष यात्रियों को रोबोटिक ऑपरेशन के लिए सीधा दृश्य प्रदान करता है।
- मनोवैज्ञानिक लाभ: लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए कपोल एक बड़ा मनोवैज्ञानिक सहारा है। पृथ्वी और ब्रह्मांड के इन नज़ारों को देखकर उन्हें शांति और प्रेरणा मिलती है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सुरक्षा और निर्माण: कपोल की खिड़कियां विशेष रूप से मजबूत, फ्यूज्ड सिलिका और बोरोसिलिकेट ग्लास से बनी होती हैं, जो सूक्ष्म उल्कापिंडों और अंतरिक्ष मलबे से सुरक्षा प्रदान करती हैं। प्रत्येक खिड़की में बाहरी शटर भी होते हैं जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर बंद किया जा सकता है। यह एल्यूमीनियम और अन्य उच्च शक्ति वाली धातुओं से बना है जो अंतरिक्ष के कठोर वातावरण का सामना कर सकता है।
- आकार और वजन: कपोल की ऊंचाई लगभग 1.5 मीटर (4.9 फीट) और अधिकतम व्यास लगभग 2.95 मीटर (9.68 फीट) है। इसका प्रक्षेपण द्रव्यमान लगभग 1,805 किलोग्राम (3,979 पाउंड) है।
कुल मिलाकर, कपोल मॉड्यूल केवल एक अवलोकन डेक नहीं है, बल्कि यह ISS का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो वैज्ञानिक अनुसंधान, परिचालन सहायता और अंतरिक्ष में रहने वाले मनुष्यों के मनोवैज्ञानिक कल्याण में भी योगदान देता है। शुभांशु शुक्ला का इस अद्वितीय मॉड्यूल से अंतरिक्ष को देखना, भारत के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक गर्व का क्षण है।