नई दिल्ली: राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, मगर मर्यादा नहीं टूटनी चाहिए – लेकिन जब किसी महिला सांसद के सम्मान पर हमला हो, तो जवाब भी आर-पार का होना चाहिए! ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के प्रमुख मौलाना साजिद रशीदी ने समाजवादी पार्टी की लोकप्रिय नेता और सांसद डिंपल यादव के पहनावे पर आपत्तिजनक और घिनौनी टिप्पणी कर डाली, जिसके बाद सियासी गलियारों में भूचाल आ गया।
ये मामला तब शुरू हुआ जब संसद परिसर की पार्लियामेंट्री मस्जिद में डिंपल यादव, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, सांसद मोहिबुल्ला नदवी और इकरा हसन समेत कई सपा नेता एक साथ पहुंचे। वहां की एक ग्रुप फोटो सामने आने के बाद, मौलाना साजिद ने डिंपल यादव के ड्रेस को लेकर बेहद अभद्र टिप्पणी कर दी – जिसे न केवल समाजवादी पार्टी बल्कि समाज के तमाम जागरूक तबकों ने गहरी आपत्ति के साथ खारिज कर दिया।
इस पूरे विवाद पर सबसे तीखा और जबरदस्त जवाब आया कैराना की युवा सांसद इकरा हसन की तरफ से। उन्होंने साजिद रशीदी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “ऐसे लोग न तो किसी मजहब का प्रतिनिधित्व करते हैं और न ही समाज में इनकी कोई जगह होनी चाहिए। ये धर्मगुरु नहीं, गुमराह करने वाले हैं। औरतों के सम्मान पर ऊँगली उठाने वालों को समाज से बहिष्कृत किया जाना चाहिए।”
इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि साजिद रशीदी जैसे लोग मजहब के नाम पर नफरत फैलाते हैं और इनकी जुबान पर सख्त लगाम लगानी चाहिए। इकरा ने साफ कहा – यह सिर्फ डिंपल यादव पर हमला नहीं, हर उस महिला पर हमला है जो आत्मविश्वास के साथ अपनी भूमिका निभा रही है। वहीं, खुद डिंपल यादव ने भी इस पर गरिमापूर्ण प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह मौलाना के खिलाफ दर्ज हुई कानूनी कार्रवाई का स्वागत करती हैं और उम्मीद करती हैं कि ऐसे मामलों में कानून जल्द और सख्त उदाहरण पेश करेगा। अब सवाल ये नहीं कि किसने क्या पहना, असली सवाल ये है कि महिलाओं के खिलाफ इस तरह की छोटी और संकीर्ण सोच को कब तक बर्दाश्त किया जाएगा? देश की राजनीति अब बदलेगी – और वो बदलाव शुरू हो चुका है, मौलाना रशीदी जैसे सोच वालों के खिलाफ एकजुटता के साथ!

