UNSC में पाकिस्तान की किरकिरी: पहलगाम हमले पर झूठा प्रोपेगेंडा नाकाम, कश्मीर को फिर मिली “बिलेट्रल” सलाह
नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिर एक बार कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन 5 मई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में हुई बंद दरवाजों की बैठक में उसे मुंह की खानी पड़ी। पाकिस्तान की अपील पर बुलाई गई इस ‘कंसल्टेशन मीटिंग’ में सदस्य देशों ने न केवल उसके “फॉल्स फ्लैग” यानी भारत द्वारा खुद हमला करवाने के झूठे दावे को खारिज किया, बल्कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान से तीखे सवाल भी किए।
सूत्रों के अनुसार परिषद के कई सदस्यों ने लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर सवाल उठाए और पर्यटकों को धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाए जाने पर गहरी चिंता जताई। पाकिस्तान की यह रणनीति थी कि UNSC के मंच पर कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया जाए, लेकिन परिषद ने उसकी मांगों को कोई तवज्जो नहीं दी और दो टूक कहा कि यह एक द्विपक्षीय विषय है जिसे भारत और पाकिस्तान को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए। बैठक में शामिल 15 देशों में से किसी ने पाकिस्तान के दावों का समर्थन नहीं किया और कोई संयुक्त बयान तक जारी नहीं किया गया—जो इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार नहीं किया गया।
परिषद की वर्तमान अध्यक्षता ग्रीस के पास है, और उसने भी बैठक को केवल एक ‘औपचारिक विचार-विमर्श’ तक सीमित रखा। वहीं भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी थी कि यह बैठक सिर्फ “परसेप्शन मैनेजमेंट” की नाकाम कोशिश होगी। बैठक के बाद उन्होंने कहा, “जैसा हमेशा होता आया है, पाकिस्तान की दादागीरी एक बार फिर असफल रही है और सुरक्षा परिषद ने उसे कोई मंच नहीं दिया।” यह घटना भारतीय कूटनीति की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जिसने पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार झूठ फैलाने के प्रयासों को फिर से ध्वस्त कर दिया है।