INDO-PAK WAR UPDATES : चार दिन में कैसे घुटनों पर आया पाकिस्तान? 5 प्वाइंट्स में समझें भारत-पाक सीजफायर के पीछे की कहानी
INDO-PAK WAR UPDATES /नई दिल्ली: हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक हुए सीजफायर समझौते ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्या वजह रही कि सीमा पर लगातार उकसाने वाली कार्रवाई और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाला पाकिस्तान महज चार दिनों में बातचीत की टेबल पर आ गया? आइए 5 महत्वपूर्ण बिंदुओं में इस बदलाव के पीछे की कहानी को समझते हैं:
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भारत की कूटनीतिक बढ़त और अंतर्राष्ट्रीय दबाव: भारत ने लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाया है। अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों का पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर बढ़ता दबाव और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटकना, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बन गया था। भारत की मजबूत कूटनीति ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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आंतरिक आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता: पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। महंगाई चरम पर है और विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है। इसके साथ ही, देश में राजनीतिक अस्थिरता भी चरम पर है। इमरान खान की सरकार को विपक्ष से लगातार चुनौती मिल रही है। ऐसे में, सीमा पर तनाव बनाए रखना पाकिस्तान के लिए आर्थिक और राजनीतिक रूप से महंगा साबित हो रहा था।
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भारतीय सेना का करारा जवाब और सैन्य दबाव: पिछले कुछ समय में भारतीय सेना ने सीमा पर पाकिस्तान की किसी भी उकसाने वाली कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया है। सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक जैसे कदमों ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दे दिया था कि भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। भारतीय सेना का यह दृढ़ रुख पाकिस्तान पर सैन्य दबाव बनाए रखने में कारगर साबित हुआ।
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कोरोना महामारी का बढ़ता प्रकोप: पाकिस्तान में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत घातक साबित हो रही थी। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी और अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ गया था। ऐसी स्थिति में, सीमा पर तनाव को प्राथमिकता देना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो रहा था। उसे अपने नागरिकों के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता महसूस हुई।
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परदे के पीछे की बातचीत और मध्यस्थता: माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच सीजफायर को लेकर परदे के पीछे कई दौर की बातचीत हुई। कुछ रिपोर्ट्स में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की भी बात सामने आई है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से बातचीत ने इस समझौते तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो सकती है।
इन पांच प्रमुख कारणों के चलते पाकिस्तान को आखिरकार घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा और उसने भारत के साथ सीजफायर समझौते पर सहमति जताई। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह समझौता लंबे समय तक चलता है या नहीं और पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर अपनी नीति में कोई स्थायी बदलाव लाता है या नहीं।