Pappu Yadav:
पूर्णिया

Pappu Yadav: पूर्णिया में हो एम्स और हाई कोर्ट के बेंच की स्थापना: पप्पू यादव

लोकसभा अध्यक्ष ने सांसद Pappu Yadav से पूछा – क्या नहीं मिला, तो पप्पू यादव ने गिनवा दिए ये सब

जीएसटी, नोटबंदी और रोजगार संकट पर बड़ा सवाल – कुंभ मेले की अनियमितताओं पर उठे सवाल

पूर्णिया: सांसद राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ने आज लोकसभा में चर्चा के दौरान एक बार फिर से हाई कोर्ट की मांग को सरकार के सामने रखा. इसके साथ ही उन्होंने पूर्णिया में एम्स की स्थापना की भी मांग कर दी. पप्पू यादव ने कहा कि मैंने एक एम्स की पूर्णिया के लिए डिमांड की। सभी स्टेट्स में दो-तीन जगह हाई कोर्ट बेच है। मैंने आग्रह किया कि पूर्णिया में हाई कोर्ट बेच दी जाए। पूर्णिया के लिए आईआईटी की बात की। आप मखाना बोर्ड की बात कहते हैं। मैं कहता हूं कि दुनिया का 94 पसेंट उत्पादन कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल में होता है। बोर्ड गठन से कुछ नहीं होगा। पप्पू यादव ने कहा कि जब फैक्ट्रीज नहीं रहेंगी, हम फूड प्रोसेसिंग पर फैक्ट्रीज नहीं देंगे, तो क्या होगा? मछली उत्पादन पर बार-बार चर्चा होती है। लेकिन आज तक इस पर कुछ नहीं किया गया. हमारा इलाका सबसे गरीब है और वहां सबसे ज्यादा पलायन है। मैं आपके द्वारा डिमांड करता हूं कि पूर्वांचल के लिए एक मंत्रालय का यहां से गठन हो, जिससे पूर्वांचल का नियमित विकास हो सके। दिल्ली में पूर्वाचल के जो लोग आते हैं, वे बहुत परेशान हैं। मेरा आग्रह है कि पूर्वांचल मंत्रिमंडल का गठन हो और वहां से विकास हो।

बिहार की मांग को लेकर जब लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन जगदम्बिका पाल ने पूछा कि बिहार को किया नहीं मिला, तो सांसद पप्पू यादव ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, विशेष पैकेज नहीं मिला, बंद पड़ी फैक्ट्रीज का कुछ नहीं हुआ। डालमिया नगर से शुरू करता हूं, चीनी मिल, पेपर मिल, दालचीनी मिल, सिल्क मिल, बंदूक फैक्ट्री, जूट मिल, मेरे यहां बनमनखी में चीनी मिल बंद हो गई। जब फैक्ट्रीज नहीं रहेंगी, हम फूड प्रोसेसिंग पर फैक्ट्रीज़ नहीं देंगे, तो क्या होगा? सांसद ने जीएसटी को लेकर कहा कि यह कर व्यवस्था हर नागरिक की जेब पर भारी पड़ रही है। उन्होंने दावा किया कि चाय, दाल, नमक, साड़ी, चप्पल जैसी रोजमर्रा की चीजों पर तीन गुना जीएसटी लगाया गया, जिससे निम्न और मध्यम वर्ग की स्थिति बदतर हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद देश के मध्यम वर्ग के पास बचत करने तक के पैसे नहीं बचे हैं।

उन्होंने कुंभ मेले की व्यवस्थाओं को लेकर बड़ा आरोप लगाया। उनका कहना था कि कुंभ मेले के दौरान भगदड़ में मारे गए लोगों की सही संख्या तक नहीं बताई गई। उन्होंने दावा किया कि 300 से 600 लोगों की लाशें मिलीं, लेकिन उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से नहीं किया गया। उन्होंने आगे कहा कि कुंभ मेले में अनियमितताओं के कारण एक विशेष ठेकेदार को लगभग 2000 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया, जिसने 2013 और 2019 में भी यही काम किया था। सांसद ने पूछा कि क्या इन ठेकेदारों की कोई जांच होगी? उन्होंने यह भी बताया कि नेहरू जी के समय देश का बजट 428 करोड़ रुपये था, जबकि आज केवल कुंभ मेले का बजट ही 10,000 करोड़ रुपये है। सांसद ने प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी सरकार में रेलवे और बैंकों की भर्तियां नहीं निकलीं, जबकि सेना की भर्ती योजना “अग्निवीर” के रूप में संविदा आधारित कर दी गई है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी नौकरियों की बजाय अब निजी कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी वर्ग को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी में आरक्षण लागू होता था, लेकिन निजी क्षेत्र में यह लागू नहीं होता। इस कारण समाज के वंचित वर्गों को नौकरी मिलने की संभावना कम हो गई है। शिक्षा बजट में भारी गिरावट का जिक्र करते हुए सांसद ने बताया कि 2014 में शिक्षा पर खर्च जीडीपी का 7.4% था, जो 2024 में घटकर 6.4% रह गया है। उन्होंने महंगाई और रुपये की गिरावट को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाए और पूछा कि देश की 140 करोड़ की आबादी में 84 से 86 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की नौबत क्यों आई? उन्होंने आर्थिक विकास दर (GDP Growth) में आई गिरावट का जिक्र करते हुए कहा कि 2020-21 में यह 6.6% तक गिर चुकी थी।

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