MANIPUR CASE : मणिपुर में शांति बहाली की कोशिश में जुटा केंद्र: मैतेई और कुकी समुदाय के साथ अहम बैठक
MANIPUR CASE : मणिपुर में पिछले दो साल से जारी जातीय हिंसा को खत्म करने और शांति बहाल करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। शनिवार, 5 अप्रैल 2025 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नई दिल्ली में मणिपुर के दो प्रमुख समुदायों—मैतेई और कुकी—के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। यह बैठक मंत्रालय के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिनका मकसद मई 2023 से शुरू हुए संघर्ष को सुलझाना और राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करना है। बैठक में मैतेई समुदाय की ओर से ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन (AMUCO) और फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशंस (FOCS) के छह प्रतिनिधि शामिल हुए। वहीं, कुकी समुदाय का प्रतिनिधित्व जोमी काउंसिल, ह्मार इनपी और कुकी जो काउंसिल के नौ सदस्यों ने किया। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक का उद्देश्य दोनों समुदायों के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ाना था, ताकि हिंसा का अंत हो सके और शांति की राह तैयार की जा सके। मणिपुर में हिंसा की शुरुआत 3 मई 2023 को तब हुई थी, जब कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की मांग के खिलाफ एक ‘ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च’ का आयोजन किया था। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गईं, जिसमें अब तक 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं। इस संकट के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लागू किया गया था, जो अभी भी जारी है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि बैठक में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और दोनों समुदायों के बीच सुलह की प्रक्रिया पर जोर दिया गया। इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में मणिपुर पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार दोनों समुदायों के साथ पहले भी अलग-अलग बातचीत कर चुकी है और अब जल्द ही संयुक्त बैठक की जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछले चार महीनों में हिंसा से कोई मौत नहीं हुई है, हालांकि विस्थापित लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं, जो स्थिति को पूरी तरह संतोषजनक नहीं बनाता। कुकी समुदाय ने बैठक से पहले तीन शर्तें रखी थीं—मैतेई और कुकी बहुल क्षेत्रों में एक-दूसरे के आवागमन पर रोक, कम से कम छह महीने तक शत्रुता खत्म करना और इस दौरान औपचारिक बातचीत शुरू करना। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इन शर्तों को पूरा किया गया या नहीं। दूसरी ओर, मैतेई प्रतिनिधियों ने शांति की दिशा में इस पहल का स्वागत किया है। यह बैठक मणिपुर में शांति बहाली की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों समुदायों के बीच गहरे अविश्वास को दूर करने के लिए ऐसी पहल जरूरी हैं, लेकिन इसका असर तभी होगा जब जमीन पर ठोस कदम उठाए जाएंगे। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, जो पूर्व गृह सचिव रह चुके हैं, भी इस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। अब सबकी नजर इस बात पर है कि यह बैठक क्या परिणाम लाती है और क्या यह लंबे समय से चले आ रहे संकट का हल निकाल पाएगी।