New Delhi: कॉमेडियन कुणाल कामरा ने हाल ही में अपने शो में भारत का संविधान दिखाकर अभिव्यक्ति की आजादी का दावा किया, पर विशेषज्ञों का कहना है कि इसी किताब की कई धाराएँ मनमानी आजादी पर रोक लगाती हैं। संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) के तहत राज्य इसे लोक व्यवस्था, शिष्टाचार, मानहानि और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सीमित कर सकता है। हाल ही में कुणाल के खिलाफ हिंसा और FIR के बाद यह सवाल उठा कि क्या उनकी व्यंग्यबाजी संवैधानिक सीमाओं से परे थी। जानकारों का कहना है कि संविधान आजादी के साथ जिम्मेदारी का संतुलन माँगता है। क्या यह बहस अभिव्यक्ति की नई परिभाषा गढ़ेगी? नजरें अब इस विवाद के अगले मोड़ पर टिकी हैं।