Mock Drill Advisory: 7 मई को भारत करेगा राष्ट्रव्यापी मॉक ड्रिल, हर नागरिक होगा तैयार
नई दिल्ली: Mock Drill Advisory भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने 7 मई को पूरे देश में एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए युद्ध जैसी परिस्थितियों के लिए नागरिकों को तैयार करने की मंशा से मॉक ड्रिल कराने का फैसला किया है। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है, जिसने पूरे देश में आक्रोश और चिंता की लहर दौड़ा दी है। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई डिप्लोमैटिक कदम उठाए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की साजिश रचने वालों को ऐसी सजा देने की बात कही है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों, खासतौर से स्कूली छात्रों को युद्ध या हवाई हमले जैसी आपात स्थितियों से निपटने की व्यावहारिक ट्रेनिंग देना है। गृह मंत्रालय की ओर से राज्यों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे नागरिक सुरक्षा के तहत ब्लैकआउट, निकासी प्रक्रिया, बंकर में छिपने की रणनीति और सायरन प्रणाली की रिहर्सल सुनिश्चित करें। पंजाब में छावनी बोर्ड ने बिजली विभाग को निर्देश दिए हैं कि निर्धारित समय पर बिजली आपूर्ति बंद कर दी जाए ताकि ब्लैकआउट की प्रभावशीलता को परखा जा सके।
यह मॉक ड्रिल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद नागरिकों के लिए पहली बार इस स्तर पर हो रही है। 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच दो मोर्चों पर युद्ध छिड़ा था, तब मुंबई (तब बॉम्बे), दिल्ली सहित कई शहरों में लगातार कई रातों तक लाइटें बंद रखी गई थीं और लोगों को ट्रेंच में छिपने तथा हमले की स्थिति में बचाव के तरीकों की ट्रेनिंग दी गई थी। उस समय नागरिक सुरक्षा कानून 1968 के तहत देश में ‘सिविल डिफेंस’ की अवधारणा लागू की गई थी, जिसमें दुश्मन के किसी भी संभावित हमले से नागरिकों को सुरक्षित रखने के उपाय शामिल थे। इस दौरान ट्रेंच खोदी गईं, खिड़कियों को काले कागज से ढंका गया, और लोगों को सायरन बजते ही सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए तैयार किया गया।
मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार इस ऐतिहासिक सुरक्षा अभ्यास को फिर से सक्रिय कर रही है, ताकि किसी भी संभावित युद्ध या आतंकी हमले की स्थिति में आम लोग घबराएं नहीं, बल्कि संगठित और प्रशिक्षित प्रतिक्रिया दें। यह मॉक ड्रिल सिर्फ सुरक्षा का परीक्षण नहीं है, बल्कि यह संदेश भी है कि भारत न केवल सीमाओं पर बल्कि देश के हर कोने में किसी भी आपदा या हमले का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।