NEW DELHI : दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोकतंत्र और संवैधानिक ढांचे को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि भारत में संसद सबसे सर्वोच्च संस्था है और उसके ऊपर कोई भी अथॉरिटी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि संसद में बैठने वाले सांसद देश की जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं, इसलिए वही असली जनप्रतिनिधि हैं और उनके निर्णय सर्वोपरि माने जाने चाहिए। उन्होंने संविधान में संशोधन का अधिकार भी केवल संसद को बताते हुए कहा कि संविधान के भविष्य का निर्धारण केवल वही लोग करेंगे जिन्हें जनता ने चुना है, न कि कोई अन्य संस्था। सुप्रीम कोर्ट को लेकर उनके पहले दिए गए बयानों की आलोचना पर पलटवार करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति जब भी कोई बात करता है, वह राष्ट्रहित से प्रेरित होता है, न कि किसी निजी उद्देश्य से। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल के महीनों में न्यायपालिका और विधायिका के बीच अधिकारों को लेकर बहस तेज हुई है। उपराष्ट्रपति का यह स्पष्ट रुख न केवल संवैधानिक संस्थाओं के आपसी संबंधों पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों और न्यायिक सक्रियता के बीच संतुलन की जरूरत अब पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।
NEW DELHI : उपराष्ट्रपति धनखड़ का संविधान पर जोरदार बयान: लोकतंत्र में संसद सर्वोच्च, कोई संस्था उसके ऊपर नहीं
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