Waqf Amendment Bill LIVE : यूं ही नहीं नीतीश कुमार ने किया समर्थन, अमित शाह ने मानी सुशासन बाबू की ये बातें

Waqf Amendment Bill LIVE :  वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर संसद में चली लंबी बहस और विवादों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने इस बिल का समर्थन कर सबको चौंका दिया। सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार का यह फैसला महज संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई गहन चर्चा का नतीजा है। इस समर्थन के पीछे नीतीश की कुछ अहम शर्तों को शामिल करना भी बताया जा रहा है, जिसे सरकार ने मंजूर किया।

नीतीश के समर्थन का आधार

वक्फ बिल को लेकर जदयू शुरू में असमंजस में थी। बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 18 फीसदी है और विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण पार्टी पर दबाव था कि वह अल्पसंख्यक समुदाय की भावनाओं का ख्याल रखे। हालांकि, नीतीश कुमार ने इस बिल का समर्थन करने का फैसला लिया, जिसके पीछे उनकी कुछ मांगों को शामिल करना अहम रहा। सूत्रों के अनुसार, नीतीश ने “वक्फ बाय यूजर” सिद्धांत को हटाने और पुराने प्रावधानों को संशोधित करने पर जोर दिया था, ताकि बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय में फैली गलतफहमियां कम की जा सकें।

अमित शाह ने जदयू नेताओं ललन सिंह और संजय झा के साथ संसद भवन में बैठक की थी, जिसमें नीतीश की सलाह को बिल में शामिल करने का आश्वासन दिया गया। जदयू सांसद ललन सिंह ने लोकसभा में बहस के दौरान बिल का समर्थन करते हुए कहा, “यह बिल पारदर्शिता लाने के लिए है, इसे मुस्लिम विरोधी कहना गलत है। नीतीश कुमार ने हमेशा मुस्लिम कल्याण के लिए काम किया है।”

अमित शाह की रणनीति

गृह मंत्री अमित शाह ने एनडीए सहयोगियों को साथ लाने के लिए खास रणनीति अपनाई। जदयू के अलावा चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को भी विश्वास में लिया गया। शाह ने साफ किया कि बिल का मकसद वक्फ बोर्ड में सुधार और पारदर्शिता लाना है, न कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करना। उन्होंने लोकसभा में कहा, “वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति सिर्फ प्रशासनिक सुधार के लिए है, धार्मिक प्रबंधन में कोई दखल नहीं होगा।”

नीतीश की मांग पर बिल में कुछ संशोधन किए गए, जैसे वक्फ संपत्तियों के डिजिटाइजेशन को अनिवार्य करना और महिलाओं व कमजोर वर्गों के हितों को प्राथमिकता देना। यह नीतीश के “सुशासन” मॉडल से मेल खाता है, जिसे उन्होंने बिहार में लागू किया है।

बिहार चुनाव का कनेक्शन

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। नीतीश का यह कदम एनडीए के साथ अपनी स्थिति मजबूत करने और विपक्ष के हमलों को कुंद करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। विपक्ष, खासकर राजद और कांग्रेस, नीतीश पर मुस्लिम विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन जदयू का दावा है कि बिल में शामिल संशोधन मुस्लिम महिलाओं और गरीब तबकों के हित में हैं, जिसे वह चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी।

क्या बोले नीतीश के करीबी?

जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “नीतीश जी ने बिल का समर्थन तभी किया, जब उन्हें भरोसा हुआ कि यह मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं है। अमित शाह ने उनकी बात सुनी और बदलाव किए। यह नीतीश की साख और रणनीति का कमाल है।”

आगे की राह

वक्फ बिल के समर्थन से नीतीश ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह गठबंधन की राजनीति में माहिर हैं। हालांकि, इस फैसले का असर बिहार की सियासत पर कितना पड़ेगा, यह आने वाले महीनों में साफ होगा। फिलहाल, यह तय है कि नीतीश और शाह की जोड़ी ने विपक्ष को नई चुनौती दे दी है।

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