Purnia News: किलकारी बिहार बाल भवन में चक धूम-धूम समर कैंप 2025 के तहत बच्चों को दिया जा रहा बिहू लोक नृत्य का प्रशिक्षण
पूर्णिया: Purnia News शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा संचालित किलकारी बिहार बाल भवन में चल रहे चक धूम-धूम समर कैंप 2025 में बच्चों को असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत बिहू लोक नृत्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस विशेष प्रशिक्षण सत्र में असम से आए प्रसिद्ध लोक नृत्य विशेषज्ञ राकेश बोडो (राष्ट्रीय युवा कलाकार छात्रवृत्ति प्राप्त – संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) और ढोल वाद्य विशेषज्ञ विनीत बोडो द्वारा बच्चों को बिहू की परंपरागत नृत्य शैली सिखाई जा रही है। इनके साथ किलकारी बिहार बाल भवन के नृत्य प्रशिक्षक अजय कुमार, पूजा बोस, और अमित कुमार सामंजस्य स्थापित करते हुए बच्चों को प्रशिक्षण देने में सहयोग कर रहे हैं।
बिहू, असम का प्रमुख लोक पर्व है, जिसे साल में तीन बार – माघ बिहू, बोहाग बिहू और काती बिहू के रूप में मनाया जाता है। विशेषकर बोहाग बिहू के अवसर पर पूरे असम में लड़के-लड़कियां, पुरुष और महिलाएं मिलकर उल्लास के साथ बिहू नृत्य करते हैं। यह नृत्य प्रकृति से गहरे जुड़ा हुआ है – फूलों का खिलना, पत्तों का हिलना, पक्षियों की उड़ान, ठंडी हवाओं की सरसराहट जैसे प्राकृतिक दृश्यों को नृत्य मुद्राओं और गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। बिहू नृत्य न केवल प्रकृति और कृषि जीवन से जुड़ा है, बल्कि प्रेम और सामूहिक उल्लास की भावना को भी दर्शाता है।
इस प्रशिक्षण के माध्यम से बच्चे न केवल बिहू नृत्य की विभिन्न मुद्राएं, ढोल के साथ तालमेल और बिहू में प्रयुक्त पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग सीख रहे हैं, बल्कि असम की सांस्कृतिक परंपरा और प्रकृति से उनके गहरे संबंध को भी समझ रहे हैं। बच्चों को यह भी बताया जा रहा है कि किस प्रकार प्रकृति को देखकर उसकी अनुभूति को नृत्य में उतारा जाता है – जैसे ढोल की आवाज को बादलों की गर्जना के रूप में महसूस करना।
कुल 220 बच्चों को इस लोक नृत्य कार्यशाला से लाभ मिल रहा है। प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक त्रिदीप शील ने बताया कि इस प्रशिक्षण से बच्चों को न केवल असम की लोक संस्कृति की जानकारी मिल रही है, बल्कि वे अपने राज्य बिहार की परंपराओं के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों की सांस्कृतिक विविधताओं को भी जान रहे हैं, जो उनके समग्र विकास में सहायक सिद्ध होगा।