पूर्णिया

PURNIA NEWS : टीकापट्टी एपीएचसी में प्रसव पीडित आनेवाली महिलाओं को नहीं मिलता है खाना, पीडितों ने सुनाया दर्द

PURNIA NEWS,अभय कुमार सिंह : रूपौली  प्रखंड में स्वास्थ्य विभाग का यह हाल है कि अब विभाग के लोग प्रसव के लिए आनेवाली महिलाओं खाना नहीं दिया जाता है । स्थिति यह है कि उन्हें एक कप चाय भी नसीब नहीं हो पाता है । यह आलम टीकापटी एपीएचसी का है । यहां की स्थिति यह है कि आउटडोर के गेट पर रोगियों का स्वागत कुत्ते करते हैं, जिससे रोगियों एवं स्वास्थ्यकर्मियों हमेशा भय के बीच रहना पड रहा है कि कहीं ये हिंसक कुत्ते उन्हें काट न लें । इतना ही नहीं, हर जगह गंदगी आम बात है । एक तरह से लगता ही नहीं है कि यहां किसी इंसान का इलाज भी होता है, जबकि यहां एक चिकित्सक नियुक्त हैं, जो प्रतिदिन लगभग 60 से 70 रोगी देखते हैं । जिस बीएचएम की जिम्मेदारी यहां के क्षेत्रीय अस्पतालांे पर है, उस बीएचएम को कभी भी क्षेत्र में नहीं देखा जाता है, रेफरल अस्पताल में पूछने पर क्षेत्र में तथा क्षेत्र में पूछने पर रेफरल अस्पताल बताकर बात को घुमा दिया जाता है । मुखिया शांति देवी बताती हैं कि अस्पताल की हालत बद-से-बदतर है । इसे देखने-सुननेवाला कोई नहीं है । कब कुत्ते किसी रोगी को काट ले, कहना मुश्किल है । प्रसव पीडित महिलाओं को तो आजतक खाना नसीब नहीं हुआ है, यहां खाना भी मिलता है, किसी को पता तक नहीं है, क्योंकि आजतक खाना के लिए मिनु नहीं लटकाया गया है । यह तो यहां का सौभाग्य है कि एक अच्छे चिकित्सक आए हैं, जो प्रतिदिन रोगियों का इलाज करते रहते हैं ।

प्रसव पीडित महिलओं को नहीं मिलता है नाश्ता-भोजन:
टीकापटी एपीएचसी में जब से प्रसव केंद्र शुरू हुआ, तब से यहां आजतक किसी भी प्रसव पीडित महिला को नाश्ता-भोजन-चाय नसीब नहीं हो पाया है । स्थिति यह है कि यहां इनके लिए इसकी व्यवस्था भी है, यह इन्हें पता नहीं है । जबकि यहां एनजीओ की ओर से दो टाइम खाना, दो टाइम नाष्ता, चाय आदि की व्यवस्था विभाग ने कर रखी है । नियमानुसार यहां इसके लिए मिनु की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि रोगियों को पता होना चाहिए कि विभाग उन्हें क्या-क्या खाना में दे रहा है, परंतु आज लगभग चार वर्ष बीत जाने के बाद भी इसकी व्यवस्था जानबूझकर नहीं की गई कि रोगियों को यह पता नहीं चल सके कि यहां भर्ती होनेवाली प्रसव पीडित महिलाओं को खाना-नाश्ता का भी प्रबंध है । शुक्रवार की रात आयी बैरिया गांव की प्रसव पीडित महिला शबनम कुमारी, पति मिथिलेश कुमार एवं तेलडीहा गांव से नूतन कुमारी, पति फंटूश कुमार प्रसव के लिए यहां आयी थीं । शनिवार के लगभग 11 बजे दोनों पीडितों एवं उनके स्वजनों ने बताया कि अभी तक उन्हें एक कप चाय तक नसीब नहीं हुई है । मौके पर मौजूद एनजीओ के कार्यकत्र्ता अजय कुमार से पूछने पर बताया कि चाय की दूध फट गई थी, इसलिए चाय नहीं मिल पायी है । खाना पूछने पर बताया गया कि एक बजे मिलेगा । जबकि इस बात की जानकारी मौके पर स्वास्थ्यकर्मियों से पूछा गया, तब उन्होंने अपना नाम नहीं छापने की स्थिति में बताया कि आजतक किसी को खाना-नाश्ता नहीं मिला है, अब शायद तहकीकात हो रही है, तो मिल जाए यही बहुत है ।

अस्पताल के ओपीडी कक्ष के बाहर रोगियों का स्वागत कुत्ते करते हैं, भय के माहौल में रहते हैं रोगी एवं स्वास्थ्यकर्मी-
अस्पताल के ओपीडी कक्ष के बाहर रोगियों एवं स्वास्थ्यकर्मियों का स्वागत लगभग आधा दर्जन कुत्ते एवं बकरियां करते हैं । ठीक गेट के सामने कुत्ते एवं बकरी बैठे रहते हैं, पता नहीं कब किस रोगी या फिर स्वास्थ्यकर्मी को कुत्ते अपना शिकार बना लें, कहना मुश्किल है । इस परिस्थिति में यहां आए रोगी कहते हैं कि अस्पताल आना उनकी मजबूरी है, अब कुत्ता काट खाए, उसका रिस्क उठाते हैं, परंतु हमेशा भय बना रहता है । यहां गार्ड की व्यवस्था नहीं है, जिससे कुत्तों का आतंक बना हुआ है ।

अस्पताल में गंदगी की भरमार है-
अस्पताल शब्द से इतना तो लोगों की समझ में बात आती है कि वहां साफ-सफाई जरूर होगी । टीकापटी एपीएचसी के आउटडोर के गेट के बगल में ही गंदगी की भरमार है । कचरा रखनेवाला डब्बा उल्टा पडा है, मोबाइल मोटरसाईकिल बाहर यूंही धूप-वर्षा में फेेका हुआ है, कोई देखनेवाला नहीं है । इस सडांध के बीच रोगी बस अपनी मजबूरी के बीच अपना इलाज कराते नजर आ रहे हैं ।

शनिवार को खाना की रिपोर्ट वीडियो के रूप में आयी है, यह अस्पताल उनके अंदर नहीं आता है । गंदगी अस्पताल में है, परंतु इसके लिए वहां कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही वहां कोई गार्ड ही है ।

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