पूर्णिया

PURNIA NEWS : योग – आत्मिक जागृति से लेकर शारीरिक सुदृढ़ता तक, एक प्राचीन विज्ञान की आधुनिक जीवन में भूमिका”

PURNIA NEWS : योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक अमूल्य हिस्सा है, जिसे ऋषि-मुनियों ने आत्मिक उन्नति और जीवन के संतुलन के लिए विकसित किया था। यह एक ऐसी वैज्ञानिक पद्धति है जो मन, शरीर और आत्मा को जोड़ने का कार्य करती है। योग का वास्तविक अर्थ है ‘जोड़’ – और यह न केवल शरीर और मन के बीच, बल्कि व्यक्ति और ब्रह्मांडीय चेतना के बीच एक सेतु बनाता है। पतंजलि ने योग को ‘चित्त की वृत्तियों का निरोध’ कहा है, यानी मन को उसकी चंचलता से मुक्त कर स्थिर और शांत बनाना। वहीं योगवासिष्ठ में कहा गया है कि योग वह युक्ति है जिससे संसार सागर को पार किया जा सकता है। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में योग न सिर्फ मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और आत्मिक स्थिरता भी प्रदान करता है।

योग में किए जाने वाले आसन जैसे सूर्य नमस्कार की 12 मुद्राएँ – जैसे प्रणामासन, हस्तपादासन, भुजंगासन, पर्वतासन आदि – न केवल शरीर को लचीला बनाते हैं, बल्कि मांसपेशियों को मजबूत करने और शरीर की मुद्रा को सुधारने में भी सहायक होते हैं। प्राणायाम के ज़रिए श्वास-प्रश्वास की प्रक्रिया को नियंत्रित कर फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाई जाती है और मन को गहरी शांति मिलती है। नियमित योगाभ्यास से प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत होती है, पाचन सुधरता है और हृदय भी स्वस्थ रहता है। योग के प्रमुख उद्देश्य केवल शारीरिक तंदुरुस्ती तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह भावनात्मक संतुलन, नैतिक मूल्यों की स्थापना और आध्यात्मिक विकास को भी अपनी परिधि में शामिल करता है।

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