Renu-Smrti-Parv 2025: “जनपद के दिल में धड़कन बना रेणु-स्मृति-पर्व – नाटक, भाषण और भावनाओं की बहार
पूर्णिया: Renu-Smrti-Parv 2025 पूर्णिया जिले के विद्या विहार रेजिडेंशियल स्कूल, परोरा में 11 अप्रैल 2025 को फणीश्वरनाथ रेणु की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय “रेणु-स्मृति-पर्व 2025” के प्रथम दिवस का मंचीय कार्यक्रम साहित्य, जनचेतना और सांस्कृतिक भावनाओं के संगम के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह आयोजन बिहार विधान परिषद के उपसभापति प्रो. (डॉ.) रामबचन राय की प्रेरणा से संभव हो पाया, जिन्होंने उद्घाटन सत्र में रेणु को केवल एक साहित्यकार नहीं बल्कि जनपदीय चेतना, ग्रामीण जीवन और स्वतंत्रता संग्राम के सशक्त प्रतिनिधि के रूप में बताया। कार्यक्रम में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक और सचिव डॉ. के. एस. राव ने विशेष रूप से भाग लिया और कहा कि रेणु का साहित्य भारत की जनभाषा और जनसंवेदना का जीवंत दस्तावेज़ है, जिसमें आम जन के संघर्ष, स्वाभिमान और सपनों की गूंज सुनाई देती है।
कार्यक्रम को क्षेत्रीय गरिमा प्रदान करते हुए पूर्णिया व कोसी-सीमांचल क्षेत्र के अग्रणी साहित्यकारों और वक्ताओं जैसे राम नरेश भक्त, नीरद जनवेणु, रामदेव सिंह, कला रॉय, संजय कुमार सिंह, शम्भु लाल वर्मा, सुरेन्द्र यादव, निरुपमा रॉय, मो. कमाल, गिरीन्द्र नाथ झा आदि ने अपने विचार साझा किए और रेणु के साहित्यिक योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित की। मंचीय कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा कला भवन, पूर्णिया के नाट्य विभाग द्वारा प्रस्तुत रेणु की प्रसिद्ध कहानी पर आधारित नाटक “पंचलेट”, जिसका निर्देशन श्री विश्वजीत कुमार सिंह ने किया। इस प्रभावशाली प्रस्तुति में झारखंड से आए वरिष्ठ रंगकर्मी श्री दिनकर शर्मा सहित कलाकारों ने जीवंत अभिनय कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
इस ऐतिहासिक आयोजन का संयुक्त आयोजन पूर्णिया विश्वविद्यालय एवं विद्या विहार आवासीय विद्यालय द्वारा किया गया, जिसमें प्रो. ज्ञानदीप गौतम को विश्वविद्यालय समन्वयक की भूमिका दी गई, जबकि आयोजन समिति की ओर से प्रो. (डॉ.) रत्नेश्वर मिश्रा ने पत्रकार वार्ता में कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा साझा की। कार्यक्रम स्थल पर एक विशेष वाचनालय की स्थापना की गई, जिसमें रेणु की मूल रचनाओं के साथ-साथ स्थानीय साहित्यकारों की कृतियाँ भी प्रदर्शित की गईं, जिसका उद्देश्य जनपदीय साहित्य को नई पीढ़ी से जोड़ना और क्षेत्रीय लेखन को मंच प्रदान करना था।
कार्यक्रम में विद्या विहार एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और स्थानीय साहित्यप्रेमियों ने भारी संख्या में भाग लिया। प्रमुख साहित्यप्रेमियों में प्रो. सी के मिश्र, प्रो. उषा शरण, प्रो. वंदना भारती, अखिलेश चंद्रा, नंदकिशोर सिंह, वैदिक पाठक, संजीव सिंह, राजेश शर्मा, पूजा मिश्र, स्वरूप दास, रमेश मिश्र और उमेश मिश्र आदि शामिल रहे। यह आयोजन युवाओं के लिए न केवल साहित्य से जुड़ने का अवसर बना, बल्कि समाज को समझने और जनसंवेदना को आत्मसात करने का माध्यम भी सिद्ध हुआ।
12 अप्रैल को “रेणु-स्मृति-पर्व” के दूसरे दिन सभी आमंत्रित अतिथि रेणु जी के पैतृक गांव “औराही हिंगना” की यात्रा करेंगे, जहाँ वे रेणु की स्मृति से जुड़े स्थलों का अवलोकन कर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यह यात्रा न केवल भावपूर्ण स्मरण का क्षण होगी, बल्कि साहित्य और समाज के रिश्तों की गहराई को अनुभव करने का अवसर भी होगी। “रेणु-स्मृति-पर्व 2025” पूर्णिया की धरती पर जनपद चेतना, साहित्यिक परंपरा और सांस्कृतिक संवाद का एक ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज़ बन गया है, जिसकी साहित्यिक गूंज लंबे समय तक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देती रहेगी।