SAHARSA NEWS,अजय कुमार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा गुरू पूर्णिमा के अवसर पर गुरुवार को शंकर चौक स्थित विवाह भवन में गुरुदक्षिणा समारोह आयोजित किया गया।इस अवसर पर मुख्य शिक्षक सुभाष अग्रवाल व नगर कार्यवाह श्रवण कुमार के निर्देशन मे सामूहिक गीत, सुभाषित, अमृत वचन,एकल गीत के पश्चात उत्तर बिहार के सह प्रांत प्रचारक प्रवीर कुमार नें बौद्धिक देते हुए कहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तत्व रूपी भगवा ध्वज का गुरूपूजन अपने स्थापना काल सें करता आया है।संघ का मानना है कि राष्ट्र का गुरू सजीव नही हो सकता है क्योंकि व्यक्ति का मानसिक संतुलन, नैतिक पतन या स्खलन कभी भी हो सकता है।इसलिए तत्व के रुप में भगवा ध्वज को स्थापित किया।उन्होने कहा कि सत्ययुग में भगवान सूर्य की उपासना की गई जिसका रंग भगवा है।वही वर्तमान वैज्ञानिकों के गॉड पार्टिकल में जो पहला प्रकाश निकला वह भी भगवा रंग का था।भारतीय संस्कृति सदैव यज्ञमय रहा है। यज्ञ में ज्वाला का प्रतीक है डॉक्टर हेडगवार ने अपने कठिन साधना से अपना हर मांस गला कर इसे स्थापित किया।जिसके कारण बड़ी संख्या में स्वयंसेवक अपने प्राणों की चिंता ना करते हुए हंसते-हंसते राष्ट्र कार्य में लगे हुए हैं। कोरोना के समय जब मृत्यु तांडव कर रहा था।
उस समय स्वयंसेवक अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवाएं की। उन्होंने कहा कि समर्पण भाव से निर्मित होता है। इसीलिए संघ निर्जीव गुरु भगवा ध्वज का गुरु पूजन कर अपनी राशि समर्पण करता है। गुरु ज्ञान के बिना भारत की परंपरा अधूरी रही है। गुरु शिष्य की परंपरा भारत में सदैव रही है। ज्ञान की साधना अमृत तत्व की साधना के लिए कच्च व देवयाणी को कठिन साधना करनी पड़ी। तब जाकर उन्हें संजीवनी विद्या मिली।उन्होंने कहा कि मछुआरी के पुत्र के रूप में जन्म लेने वाले महर्षि वेदव्यास के नाम से पूर्णिमा का नामांकन किया गया।गुरु पूर्णिमा के नाम से गुरु पूजन की परंपरा सदैव रही है। इस मौके पर डा आलोक रंजन,विवेक विशाल,अर्जुन दहलान,सुशील दहलान,गणेश कुमार, नगर कार्यवाह श्रवण कुमार, ज्ञान प्रकाश दत्त, संजय तुलस्यान, रंजीत दास, रतन कुमार सिंहा, सुभाष अग्रवाल, ज्ञानेश्वर कुमार, मंगल गुप्ता, डॉ मुरारी कुमार, अरुण कुमार, जगन्नाथ, गौरव कुमार,डा मुरलीधर साहा, सुरेन्द्र भगत,अमरेंद्र तिवारी,अनिल कुमार,सच्चिदानंद सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।