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पूर्णिया

मिल्लिया ट्रस्ट का फटकार भरा ऐलान : अब नहीं बनेंगे परीक्षा केंद्र, पूर्णियाँ विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर उठे तीखे सवाल

अंग इंडिया, संवाददाता पूर्णिया:  पूर्णिया विश्वविद्यालय के प्रशासनिक निर्णयों पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा को लेकर पूर्व में घोषित परीक्षा केंद्रों को अंतिम समय में बिना स्पष्ट कारण बदल देने पर मिल्लिया एजुकेशनल ट्रस्ट ने तीव्र आपत्ति जताई है और आने वाले समय में विश्वविद्यालय की किसी भी परीक्षा में अपने संस्थानों को केंद्र नहीं बनाने का सख्त ऐलान किया है। यह घटनाक्रम न केवल प्रशासनिक अनियमितता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विश्वविद्यालय और उसके सहयोगी संस्थानों के बीच विश्वास की गंभीर कमी उत्पन्न हो गई है। मिल्लिया एजुकेशनल ट्रस्ट के अंतर्गत संचालित कनीज फातिमा वूमन टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज और फखरूद्दीन अली अहमद बीएड टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज को पहले PG सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा के लिए केंद्र घोषित किया गया था। विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने 3 जून को निरीक्षण किया, फिर 19 जून को ईमेल द्वारा केंद्र बनाए जाने की आधिकारिक सूचना दी। लेकिन महज़ चार दिन बाद, 23 जून को अचानक एक नया पत्र जारी कर केंद्र बदल दिए गए — कनीज फातिमा कॉलेज की जगह पूर्णिया कॉलेज और फखरूद्दीन कॉलेज की जगह बीएमटी लॉ कॉलेज को केंद्र बना दिया गया।

डॉ. मो. असद इमाम, निदेशक, मिल्लिया एजुकेशनल ट्रस्ट, ने विश्वविद्यालय के इस निर्णय को “संस्थान की छवि धूमिल करने की साजिश” करार दिया। उन्होंने कहा कि बिना कोई कारण बताए, अंतिम क्षण में परीक्षा केंद्रों को बदलना सिर्फ असंगत नहीं बल्कि दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मीडिया में मिल्लिया संस्थानों के विरुद्ध जो नकारात्मक संदेश फैलाया जा रहा है, वह पूर्वनियोजित और भ्रामक है।

क्या विश्वविद्यालय प्रशासन जवाबदेह है?
यह सवाल अब छात्र, शिक्षक और आमजनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है। जब परीक्षा केंद्र की घोषणा पहले से कर दी गई थी, निरीक्षण हो चुका था और लिखित सूचना भी दी जा चुकी थी, तो फिर केंद्र बदलने का औचित्य क्या था? “अपरिहार्य कारण” कह देने भर से क्या प्रशासन की जवाबदेही समाप्त हो जाती है? डॉ. इमाम ने मांग की है कि पूर्णिया विश्वविद्यालय इस पूरे मामले पर स्पष्ट बयान जारी करे और यह बताए कि किन कारणों से केंद्र बदले गए। उन्होंने यह भी कहा कि जब दो संस्थानों के साथ विवि का रवैया इतना नकारात्मक है, तो ट्रस्ट यह तय करता है कि भविष्य में उसके किसी भी संस्थान में विश्वविद्यालय की कोई परीक्षा आयोजित नहीं होने दी जाएगी।

इस विवाद का असर आगामी CBCS-IV जून 2025 की परीक्षा पर भी पड़ा है। 30 जून से MIT पूर्णिया परिसर में होने वाली परीक्षा को लेकर ट्रस्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि एमआईटी पूर्णिया के प्राचार्य इस परीक्षा को आयोजित करने में असमर्थ हैं। प्रेस कांफ्रेंस में कनीज फातिमा कॉलेज की प्राचार्या कंचन गुप्ता और फखरूद्दीन अली अहमद बीएड कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शाहबाज रिज़वी भी मौजूद थे और दोनों ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई। अब ज़रूरी सवाल यह है कि क्या पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन इस पूरे मामले में पारदर्शिता अपनाएगा या हमेशा की तरह ‘अपरिहार्य कारण’ के पीछे छिपकर चुप्पी साध लेगा? अगर जवाबदेही और भरोसे की बुनियाद कमजोर होती रही, तो विश्वविद्यालय की साख और भविष्य में परीक्षा संचालन की प्रक्रिया दोनों ही संदेह के घेरे में आ जाएँगे।

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