जम्मू-कश्मीर/नई दिल्ली: जब राजनीति महज़ भाषणों और नारों से आगे बढ़कर ज़मीन पर उतरती है, तब नेता नहीं, मार्गदर्शक पैदा होते हैं — और Rahul Gandhi ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जिन 22 मासूम बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया, उनकी ज़िंदगी अब अंधेरे में नहीं, बल्कि आशा की रोशनी में आगे बढ़ेगी। क्योंकि राहुल गांधी ने इन सभी बच्चों को गोद लेने और उनके संपूर्ण भविष्य की ज़िम्मेदारी उठाने का ऐलान किया है। यह फैसला उन्होंने न तो मीडिया की सुर्खियों के लिए लिया, न ही किसी सियासी मंच से किया गया कोई वादा है। यह एक मानवीय संकल्प है — एक ऐसे नेता का जो शब्दों से नहीं, अपने काम से भरोसा दिलाता है। राहुल गांधी ने साफ कहा है कि ये 22 बच्चे अब अकेले नहीं हैं। उनकी शिक्षा से लेकर उनके स्नातक स्तर तक की पढ़ाई और यदि जरूरत हुई तो प्रोफेशनल कोर्स की फीस तक का खर्च वह खुद उठाएंगे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मई 2025 में पुंछ के दौरे के दौरान राहुल गांधी ने स्थानीय कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की और बच्चों की वास्तविक स्थिति को समझने के लिए स्वयं सर्वे कराने का आदेश दिया। सरकारी रिकॉर्ड से मिलान के बाद तैयार की गई सूची में इन 22 बच्चों की पहचान हुई। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा ने जानकारी दी कि राहुल गांधी ने पहली आर्थिक सहायता की किस्त जारी करने का निर्णय ले लिया है, ताकि बच्चों की स्कूल फीस और अन्य शैक्षणिक ज़रूरतें तत्काल पूरी की जा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों की देखभाल सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि राहुल गांधी समय-समय पर उनकी प्रगति की व्यक्तिगत निगरानी भी करेंगे।
राहुल गांधी का यह कदम केवल एक संवेदनशील प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक मजबूत संदेश है — राजनीति इंसानियत के बिना अधूरी है। जब देश का एक कोना आतंक से कांप रहा हो, तब एक राष्ट्रीय नेता का ऐसे बच्चों को गले लगाना, न सिर्फ उन बच्चों को नई दिशा देता है, बल्कि पूरे देश को यह भरोसा दिलाता है कि “भारत में अब भी संवेदनशील नेतृत्व जिंदा है।” इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर भी राहुल गांधी की इस पहल की जमकर सराहना हो रही है। ट्विटर पर #OperationSindoor और #RahulGandhiWithChildren जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं — “नेता तो बहुत देखे, लेकिन ऐसा दिलवाला नेता पहली बार देखा!”

