काठमांडू: Nepal Gen Z Protest नेपाल इन दिनों अपने सबसे बड़े लोकतांत्रिक संकट से गुजर रहा है, जहाँ युवा शक्ति — विशेष रूप से Gen Z — ने देश की सत्ता व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। सोशल मीडिया प्रतिबंधों, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ जनआंदोलन अब इस मोड़ पर पहुँच गया है जहाँ देश की नई अंतरिम सरकार का गठन होना तय है।
🧨 कैसे शुरू हुआ संकट?
पिछले कुछ महीनों से देश भर में Gen Z के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे थे। युवाओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अवसर और पारदर्शिता को दबा रही है। इस आंदोलन ने तब रफ्तार पकड़ी जब सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाए, और युवाओं की आवाज़ को दबाने की कोशिश की।
दबाव के बीच, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया, और इसी के साथ अंतरिम सरकार की मांग को औपचारिक रूप मिला।
👥 अंतरिम सरकार: कौन होगा अगुवा?
▶️ सुशीला कार्की सबसे आगे
पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं, को विरोध आंदोलन की तरफ से अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया गया है।
Reuters और Times of India की रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने यह संकेत दिया है कि यदि आंदोलनकारी चाहें, तो वे जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं।
हालांकि, कुछ युवाओं और समूहों ने उनके उम्र (70 वर्ष से अधिक) और न्यायपालिका से जुड़े अतीत पर सवाल उठाए हैं, लेकिन फिलहाल वे ही सबसे प्रमुख दावेदार बनी हुई हैं।
▶️ कुलमन घिसिंग का नाम क्यों उछला?
नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमन घिसिंग, जिन्होंने देश को लोडशेडिंग से निजात दिलाई थी, को भी सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिला है।
हालांकि, उन्होंने अब तक ऐसा कोई दावा नहीं किया कि वे नेतृत्व करने के इच्छुक हैं, और न ही Gen Z आंदोलन की तरफ से उन्हें औपचारिक रूप से नामित किया गया है।
कई रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि उन्होंने “स्वच्छ छवि वाले और युवा-समर्थक नेतृत्व” की बात कही है, लेकिन उनके नाम को लेकर कोई औपचारिक प्रेस रिलीज सामने नहीं आई।
🤝 सेना और आंदोलन के बीच बातचीत
नेपाल की सेना और आंदोलन के नेताओं के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है, जिसमें यह तय करने की कोशिश हो रही है कि अंतरिम सरकार अराजनीतिक और समावेशी हो।
सूत्रों के अनुसार, सेना भी एक ऐसे नाम पर सहमत होना चाहती है जो संविधान सम्मत हो और जनता का विश्वास अर्जित कर सके।
📰 निष्कर्ष: कौन बनेगा नेपाल का अगला नेता?
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सुशीला कार्की अब तक सबसे संभावित चेहरा हैं, जिन्हें आंदोलन का भी समर्थन मिल रहा है और संवैधानिक योग्यता भी उनके पक्ष में है।
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कुलमन घिसिंग जनसमर्थन के बावजूद आधिकारिक रेस में शामिल नहीं हुए हैं, और उन्हें लेकर कोई ठोस निर्णय या समर्थन पत्र अब तक सामने नहीं आया है।
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स्थानीय निकाय नेताओं जैसे बालेन्द्र शाह और हर्क साम्पाङ ने या तो रुचि नहीं दिखाई है या उन्हें लेकर एकमत नहीं बन सका।
📌 आगे क्या?
अगले 48 घंटे नेपाल की राजनीति के लिए निर्णायक हो सकते हैं। यदि बातचीत सफल होती है, तो जल्द ही एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा जो अगले आम चुनाव की निगरानी करेगी।

