- नई दिल्ली: Donald Trump Oath डोनाल्ड ट्रंप ने 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है और इसके बाद से दुनियाभर में उनके द्वारा लागू की जाने वाली नीतियों को लेकर गहरी चिंताएँ व्यक्त की जा रही हैं। ट्रंप ने शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में अमेरिकी सुरक्षा और स्वार्थ को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात की और इसके साथ ही देश की दक्षिणी सीमा पर आपातकाल की घोषणा करते हुए यह स्पष्ट किया कि जो लोग अमेरिकी नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करेंगे, उन्हें बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके इस बयान से स्पष्ट हुआ कि वह एक बार फिर अपने कठोर रुख को अपनाएंगे, जो उनके पहले कार्यकाल में देखा गया था। खासकर, मुस्लिम देशों को लेकर उनकी नीतियाँ अब भी दुनिया भर में चिंता का कारण बनी हुई हैं, क्योंकि ट्रंप का नाम इतिहास में सबसे कठोर उपायों के लिए लिया जाता है, जिनका उद्देश्य अमेरिका को सुरक्षा प्रदान करना था, खासकर आतंकवाद और कट्टरपंथी विचारधाराओं के खिलाफ।
- चर्चा है कि ट्रंप अब फिर से “अमेरिका में मुस्लिम बैन” पर साइन करेंगे, जैसा कि उन्होंने 2017 में किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मुस्लिम बैन अब और कड़ा हो सकता है और इसमें 7 इस्लामिक देशों के बजाय पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों को भी शामिल किया जा सकता है, जिससे इन देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर कड़ी पाबंदियाँ लगाई जा सकती हैं। ट्रंप ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह कट्टरपंथी विचारधाराओं और इस्लामिक आतंकवादियों से अमेरिका को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी प्रकार की समझौता नहीं करेंगे। 2017 में जब ट्रंप ने 7 मुस्लिम बहुल देशों, जैसे ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सुडान, सीरिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था, तब भी दुनियाभर में इसका विरोध हुआ था। अब 2025 में ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद इस बैन की सूची में और देशों के नाम जुड़ने की संभावना जताई जा रही है, जिससे पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों को भारी चिंता हो सकती है।
- ट्रंप के चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए बयानों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि वह एक बार फिर कट्टरपंथी विचारधाराओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा था, “हम हर एक अप्रवासी की विचारधारा को चेक करेंगे। अगर आप अमेरिका से नफरत करते हैं, अगर आप इज़राइल को खत्म करना चाहते हैं, अगर आप हमारे धर्म को पसंद नहीं करते, और अगर आप जिहादियों के लिए हमदर्दी रखते हैं, तो हमारे मुल्क में आपका स्वागत नहीं है।” उनका यह बयान इस ओर इशारा करता है कि ट्रंप अपने प्रशासन के दौरान कट्टरपंथियों और आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा था कि वह 2017 में लागू किए गए ट्रैवल बैन ऑर्डर को फिर से लागू करेंगे, जिसे बाद में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक दिया गया था। बाइडेन के प्रशासन ने इसे 2021 में समाप्त कर दिया था, लेकिन ट्रंप की वापसी के साथ यह निर्णय फिर से बदल सकता है।
- यह स्थिति पाकिस्तान के लिए खासकर चिंताजनक है, क्योंकि पाकिस्तान के नागरिकों को पहले से ही मध्य-पूर्व के कई देशों द्वारा वीजा नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ ही ट्रंप की नीतियों से पाकिस्तान की स्थिति और भी कठिन हो सकती है। ट्रंप ने पहले ही इस बात का संकेत दिया था कि पाकिस्तान के साथ अमेरिकी नीति में बदलाव किया जाएगा, क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बताया था। ट्रंप ने कहा था, “हम अब पाकिस्तान से चुपचाप नहीं बैठ सकते हैं। पाकिस्तान आतंकवादियों का आश्रय स्थल बन चुका है, और इसे अब बदलने की जरूरत है।” इसके अलावा, ट्रंप के आने से केवल मुस्लिम देशों में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हलचल मच गई है। उनकी नीतियों के प्रभाव से वैश्विक व्यापार पर भी गहरा असर पड़ सकता है। ट्रंप की आर्थिक नीतियाँ अक्सर अमेरिकी व्यापार के लिए अधिक संरक्षणवादी रही हैं, और उनकी वापसी से एक बार फिर चीन के साथ व्यापार युद्ध का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- इससे भारत को कुछ हद तक फायदा हो सकता है, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, ट्रंप की नीतियाँ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी चुनौती दे सकती हैं, जिससे महंगाई बढ़ने और डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट का खतरा है। वैश्विक सुरक्षा के संदर्भ में, ट्रंप ने यूक्रेन-रूस युद्ध और गाजा संघर्ष के बारे में भी अपने विचार साझा किए हैं। उनके आने के बाद गाजा में 471 दिनों के बाद एक सीजफायर हुआ है, और ट्रंप ने वादा किया है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को भी समाप्त करने की दिशा में काम करेंगे। यह संकेत है कि ट्रंप अपनी विदेश नीति को नया आकार देने के लिए तैयार हैं। कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से न केवल अमेरिका के भीतर, बल्कि पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। उनके निर्णय, खासकर मुस्लिम देशों और वैश्विक व्यापार को लेकर, दुनिया में एक नई हलचल पैदा कर सकते हैं, जो आने वाले समय में वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालने वाला हो सकता है।
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