♦ प्रतिनिधि इंदौर, म.प्र: Cyber Fraud इंदौर से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने सोशल मीडिया के अंधेरे पक्ष की एक और परत को उजागर कर दिया है। अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना में रहने वाले वेंकट कलगा नामक एनआरआई युवक, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, को जीवनसाथी की तलाश थी। इस चाहत में उन्होंने एक मशहूर मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर अपना प्रोफाइल बनाया। कुछ ही दिनों में उनकी नजर एक बेहद आकर्षक प्रोफाइल पर पड़ी—नाम था “बरखा जैसवानी”, लोकेशन इंदौर, और प्रोफाइल में लगी तस्वीर किसी पेशेवर मॉडल जैसी। बातचीत शुरू हुई, फिर चैट से बात कॉल तक पहुंची और रिश्ता इतना गहरा हो गया कि शादी की योजनाएं बनने लगीं।
इसी भरोसे का फायदा उठाकर लड़की ने अपनी परेशानियों का बहाना बनाकर पैसों की मांग शुरू कर दी। भावनात्मक रूप से जुड़ चुके वेंकट ने मदद के नाम पर एक या दो नहीं, बल्कि कुल मिलाकर 2 करोड़ 68 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में भेज दिए। तकरीबन एक साल तक चलने वाली इस बातचीत में लड़की कभी मेडिकल इमरजेंसी तो कभी फैमिली ट्रैजेडी का हवाला देकर पैसे मंगवाती रही। जब वीडियो कॉल पर बात करने की बात आई, तो लड़की ने टालमटोल शुरू कर दी, और एक बार कॉल उठाने पर जब वेंकट ने असली चेहरा देखा, तो उन्हें ठगी का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने अमेरिका से भारत आकर इंदौर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज करवाई।
पुलिस जांच में सामने आया कि यह कोई व्यक्तिगत धोखा नहीं बल्कि एक संगठित साइबर गिरोह का हिस्सा था, जो इंस्टाग्राम और मैट्रिमोनियल साइट्स पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर एनआरआई युवकों को निशाना बना रहा था। डीसीपी क्राइम राजेश त्रिपाठी के नेतृत्व में जांच में यह भी सामने आया कि ठगी के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीरें इंटरनेट से चुराई गई थीं और पूरे ऑपरेशन को बड़ी सफाई से अंजाम दिया गया था। इंदौर पुलिस ने इस मामले को टेक्नोलॉजी और इंसानी भावनाओं के मिश्रण से की गई हाई-टेक ठगी का एक बड़ा उदाहरण बताया है, जो आज के डिजिटल युग में अलर्ट रहने की सख्त जरूरत की ओर इशारा करता है।