Mock Drill: युद्ध जैसी परिस्थिति में सतर्कता की तैयारी, पूर्णिया में सफलतापूर्वक हुआ मॉक ड्रिल ब्लैकआउट
पूर्णिया: Mock Drill पूर्णिया, बुधवार शाम: जैसे ही घड़ी ने 6:58 का समय दर्शाया, पूर्णिया का आर एन साह चौक सायरन की तेज आवाज से गूंज उठा और देखते ही देखते पूरे शहर ने एक अनुशासित और संगठित नागरिक चेतना का परिचय देते हुए अंधेरे की चादर ओढ़ ली। चारों ओर की लाइटें बंद, वाहनों की हेडलाइटें बुझी हुईं, मोबाइल की फ्लैशलाइट तक बंद — और इसके बावजूद माहौल में एक अलग तरह की ऊर्जा थी। इस ऐतिहासिक मॉक ड्रिल में डीएम कुंदन कुमार, एसपी कार्तिकेय शर्मा, एसडीओ पार्थ गुप्ता सहित जिला प्रशासन और सुरक्षा बल पहले से ही मोर्चे पर मौजूद थे। आम जनता भी बड़ी संख्या में आर एन साह चौक पर एकत्र होकर “भारत माता की जय” और “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारों से वातावरण को राष्ट्रभक्ति से भर रही थी।
यह अभ्यास गृह मंत्रालय के निर्देश पर आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य था — युद्ध जैसी आपात स्थिति में नागरिकों को सजग और आत्मनिर्भर बनाना तथा प्रशासनिक तंत्र की तत्परता की परख करना। यह कोई सामान्य अभ्यास नहीं था, बल्कि यह दिखाने का अवसर था कि संकट की घड़ी में पूर्णिया जैसे शहर के लोग एकजुट होकर किस तरह देशहित में अनुशासन का पालन कर सकते हैं। सरकार ने पूर्णिया को ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ के रूप में वर्गीकृत करते हुए कैटगरी-2 में रखा है, जिसका अर्थ है कि यह इलाका रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और संभावित रूप से संवेदनशील है।
ब्लैकआउट के दौरान पूरे शहर में सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं — अस्पतालों और एंबुलेंस — को छूट दी गई थी। प्रशासन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह सिर्फ एक अभ्यास है और अफवाहों से दूर रहना आवश्यक है। लोगों को भरोसा दिया गया कि खाने-पीने के सामान या अन्य चीजों को संग्रहित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इस मॉक ड्रिल ने सिर्फ एक तकनीकी अभ्यास नहीं, बल्कि एक नागरिक आंदोलन की शक्ल ली — जहां हर घर, हर व्यक्ति ने देश के प्रति अपने कर्तव्य और सजगता को उजागर किया। यह सिर्फ लाइटें बुझाने की क्रिया नहीं थी, यह था भारतवासियों की वह चेतना जो हर मुश्किल घड़ी में राष्ट्र के साथ खड़ी होती है। पूर्णिया ने यह साबित कर दिया कि संकट चाहे कितना भी बड़ा हो, जब तक जन-मन एकजुट है, तब तक कोई भी शक्ति देश को झुका नहीं सकती।