Operation Sindoor: पूर्णिया के लाल ने रचा पराक्रम का इतिहास: एयर मार्शल अवधेश भारती की अगुवाई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से दहला पाकिस्तान

पूर्णिया/नई दिल्ली: Operation Sindoor पूर्णिया की माटी ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। बिहार के इस शांत जिलें से निकले एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने हाल ही में भारत के साहसी और रणनीतिक सैन्य मिशन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में महत्वपूर्ण नेतृत्व करते हुए देश को आतंकवाद के खिलाफ बड़ी जीत दिलाई है। इस बहुचर्चित ऑपरेशन में भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) और पाकिस्तान में स्थित नौ बड़े आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी ढेर कर दिए गए। इस सफल और साहसिक अभियान में एयर मार्शल भारती की रणनीतिक सूझबूझ, उच्च स्तरीय युद्ध योजना और संकल्पबद्धता ने निर्णायक भूमिका निभाई।

पूर्णिया के झुन्नी गांव में जन्मे अवधेश कुमार भारती का बचपन से ही सपना था – आसमान की ऊंचाइयों को छूना और देश की रक्षा करना। उनके परिवार और गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि वे बचपन में ही लड़ाकू विमानों के प्रति आकर्षित रहते थे और देश सेवा का जज़्बा उनमें स्पष्ट दिखता था। सैनिक स्कूल तिलैया से शिक्षा ग्रहण कर उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में प्रवेश लिया, जहां से उनका सैन्य जीवन आरंभ हुआ। इसके बाद उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC) और नेशनल डिफेंस कॉलेज से गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर एक उच्चकोटि के सैन्य रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाई। एक अनुभवी फाइटर कॉम्बैट लीडर के रूप में वे भारतीय वायुसेना में कई अहम अभियानों में शामिल रह चुके हैं।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद जब वे मीडिया के सामने आए, तो उनका आत्मविश्वास और राष्ट्रभक्ति स्पष्ट झलक रही थी। यह अभियान केवल सैन्य दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि रणनीतिक, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी भारत की बड़ी जीत माना जा रहा है। एयर मार्शल के परिवार—पिता जीवछलाल यादव (सेवानिवृत्त लेखाकार), माता उर्मिला देवी और उनके दोनों भाई—में गर्व की लहर है। उनके भाई की पत्नी किरण देवी कहती हैं कि इतने ऊंचे पद पर पहुंचने के बावजूद वे बेहद सरल और मिलनसार हैं, और जब भी समय मिलता है, गांव में रहना पसंद करते हैं।

गांव के लोगों की नजर में वे केवल एक अफसर नहीं, बल्कि प्रेरणा का प्रतीक हैं। बुजुर्गों की आंखों में खुशी के आंसू हैं और युवा पीढ़ी उन्हें देख सपने गढ़ रही है। उनकी उपलब्धि यह सिद्ध करती है कि छोटे गांवों से निकला एक बालक भी अगर निष्ठा, अनुशासन और जुनून से भरा हो तो वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर सकता है। एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती की यह गाथा पूर्णिया ही नहीं, पूरे भारत की युवाशक्ति के लिए एक जीवंत प्रेरणा है।

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