PURNEA NEWS/आनंद यादुका : कई प्रमुख नदियों के मुख्य प्रवाह क्षेत्र धमदाहा अनुमंडल की प्रायः सभी नदियाँ इस समय सुख रही है | पूर्व में कोशी के जल निसरण के कारण बने दाहा क्षेत्र आज सूखे की चपेट में आता जा रहा है | जिससे इस क्षेत्र में जल संकट की समस्या उत्पन्न होने का खतरा बढ़ने लगा है | धमदाहा अनुमंडल क्षेत्र की जिस नदी में कभी समूचा बांस डूब जाया करता था आज उसी नदी में लोग जूता पहन कर पैदल पार कर रहे हैं | जो अनुमंडल क्षेत्र में आनेवाले समय में जल संकट की समस्या का द्योतक बन रहा है | धमदाहा अनुमंडल क्षेत्र में कारी कोशी, लिबरी नदी, धमदाहा घाट नदी, कसमरा नदी, हिरन धार और परसा धार जैसी कई नदियाँ बीते समय में बेप्रवाह बहती थी | परन्तु आज के समय में इस क्षेत्र की सभी नदियाँ सुख गयी है और सूखे नदियों की जमीन में स्थानीय लोगों के द्वारा खेती करने का काम किया जा रहा है | क्षेत्रीय लोग बताते हैं की बीते समय में इस क्षेत्र की नदियों से बाढ़ की स्थिति बन जाया करती थी | लेकिन आज के समय में किसी भी नदी में ना तो पानी है ना हीं यहाँ के लोगों को इस नदी में पायी जानेवाली मछली नसीब हो रहा है |
दाहा क्षेत्र सुख रहा है :—–
दाहा क्षेत्र जो पूर्व में कोशी के जल निसरण के कारण बने थे आज सूखे की चपेट में आता जा रहा है | बताया जाता है कि नेपाल के पहाड़ों से निकल कर धरती पर आनेवाली कोशी नदी का मुख्य प्रवाह इसी क्षेत्र से था | जिस वजह से इस क्षेत्र के कई गावों के नाम के पीछे दाहा लगा हुआ है | जैसे धमदाहा, पुरन्दाहा, सिमलदाहा, बंशीपुरंदाहा, चकरदाहा आदि | कोशी नदी की एक धारा हिरन्य धार कहलाती थी | हिरन्यधार की चर्चा बुकानन नें अपने पुरैनिया रिपोर्ट 1810 में किया है | हिरन्यधार की यह धारा पूर्व में सिकलिगढ़ से सटे पूरब से बहती हुई धमदाहा के दक्षिण से बहती हुई भाउआ-परवल के रास्ते कुर्सेला में गंगा से संगम करती थी | परन्तु आज के समय में इस हिरन्यधार का कहीं नामोनिशान तक नहीं बचा हुआ है | हाँ इस नदी के नाम पर धमदाहा प्रखंड में एक गांव हरिनकोल जरुर बचा हुआ है |
धमदाहा के पूर्वी भाग से बहनेवाली कोशी की धारा बेला, चम्पावती, दमैली, रंगपुरा, डूमर के रास्ते काढ़ागोला में गंगा से मिलती थी | वहीं गुलेलाधर जिसे पूर्व में नागर के नाम से जाना जाता था | वह हिरनधार एवं दुध्धिधार से मिलकर भउआ परवल के रास्ते कुर्सेला में गंगा से संगम करती थी | नीरपुर पंचायत के कसमरा एवं नीरपुर के बिच से बहनेवाली कसमरा धार अकबरपुर, डुमरा, डोभा, एवं भउआ-परवल के रास्ते कुर्सेला में कोशी नदी से संगम करती थी | परन्तु इन नदियों के सुख जाने की वजह से जहाँ जल संकट की समस्या उत्पन्न होने का खतरा मडराने लगा है | वहीँ इन नदियों के अस्तित्व पर भी खतरा बना हुआ है |
नदियों के सूखने की वजह से इस क्षेत्र की उपजाऊ जमीन बंजर होने की कगार पर पहुँच चुकी है | कलतक धान का कटोरा कहे जानेवाले धमदाहा अनुमंडल क्षेत्र के किसान अब धान की फसल लगाने से भी परहेज करने लगे हैं | इतना ही नहीं कभी अनुमंडल क्षेत्र की प्रमुख आर्थिक फसल माने जनेवाले पटसन की खेती से भी यहाँ के किसान अपना मुंह मोड़ चुके हैं | नदी में पानी नहीं रहने की वजह से इस क्षेत्र के किसान लगभग पटसन की खेती छोड़ चुके हैं |
अनुमंडल क्षेत्र के लोग बताते हैं कि नदियों के असमय सुख जाने के कारण आनेवाले समय में यहाँ के लोगों को जल संकट की विकराल समस्या से जूझना पर सकता है | इसलिए यहाँ के लोगों को पानी बचाने के साथ साथ नदियों के अस्तित्व को बचाने का प्रयास करना पड़ेगा | अनुमंडल क्षेत्र के कसमरा निवासी प्रो० कौशल कुमार सिंह, नारायण मंडल, असकतिया निवासी प्रो० शम्भू प्रसाद सिंह, करमनचक निवासी बीरबल प्रसाद सिंह आदि बताते हैं की नदी के अस्तित्व को बचाने की दिशा में लोगों को अपने स्तर से भी जागरूक होना होगा | अन्यथा इस क्षेत्र में नदियों का अस्तित्व आनेवाले समय में समाप्त हो जायेगा |