Baba Ramdev Sharbat Jihad Controversy: माफी लायक नहीं बाबा रामदेव की टिप्पणी’: शरबत जिहाद को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट की कड़ी फटकार
Baba Ramdev Sharbat Jihad Controversy: योग गुरु और पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक बाबा रामदेव एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उनके ‘शरबत जिहाद’ वाले बयान ने दिल्ली हाईकोर्ट का ध्यान खींचा है। कोर्ट ने रामदेव की इस टिप्पणी को ‘अनुचित’ और ‘अदालत की अंतरात्मा को झकझोरने वाला’ करार देते हुए कड़ी फटकार लगाई है। यह विवाद रामदेव के उस वीडियो से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने हमदर्द कंपनी के लोकप्रिय शरबत रूह अफजा पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए दावा किया था कि इसकी बिक्री से होने वाली आय मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में जाती है
विवाद की जड़: ‘शरबत जिहाद’ बयान
3 अप्रैल 2025 को पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार करते हुए रामदेव ने एक वीडियो जारी किया, जो पतंजलि प्रोडक्ट्स के आधिकारिक फेसबुक पेज पर साझा किया गया। इस वीडियो में उन्होंने सॉफ्ट ड्रिंक्स को ‘टॉयलेट क्लीनर’ और ‘जहर’ करार देते हुए एक अन्य शरबत कंपनी (संभवतः रूह अफजा) पर निशाना साधा। रामदेव ने कहा कि ऐसी कंपनियां अपने मुनाफे से मस्जिदें और मदरसे बनवाती हैं, जबकि पतंजलि का शरबत खरीदने से पैसा गुरुकुल, आचार्यकुलम और भारतीय शिक्षा बोर्ड को जाता है। उन्होंने इस कथित प्रक्रिया को ‘शरबत जिहाद’ का नाम दिया और इसे ‘लव जिहाद’ व ‘वोट जिहाद’ से जोड़ा। वीडियो के कैप्शन में लिखा गया, “शरबत जिहाद के नाम पर बिक रहे टॉयलेट क्लीनर और कोल्ड ड्रिंक के जहर से अपने परिवार को बचाएं।”
इस बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी। जहां कुछ लोग रामदेव को एक सफल व्यवसायी मानते हुए इसे प्रतिस्पर्धी ब्रांड को टक्कर देने की रणनीति बता रहे हैं, वहीं अन्य ने इसे सांप्रदायिक और नफरत फैलाने वाला करार दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया
हमदर्द लैबोरेटरीज, जो रूह अफजा की निर्माता कंपनी है, ने रामदेव के बयान के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 21 अप्रैल 2025 को जस्टिस अमित बंसल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने रामदेव की टिप्पणी को ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताया और कहा, “यह बयान अदालत की चेतना को झकझोरने वाला है। इसका कोई औचित्य नहीं है।” कोर्ट ने रामदेव के वकील को अगली सुनवाई में उपस्थित रहने और निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया। हमदर्द की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि यह बयान सामाजिक सौहार्द और सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला है।
धार्मिक नेताओं और नेताओं की निंदा
रामदेव के बयान की व्यापक आलोचना हुई है। देवबंद के प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान और जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने इसे ‘नफरत फैलाने वाला’ और ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बताया। उन्होंने रामदेव से सार्वजनिक माफी की मांग की और पतंजलि उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया। मौलाना ने कहा, “हम रामदेव को योग गुरु मानते थे, लेकिन यह बयान साबित करता है कि वे केवल अपने व्यापार को मजहब के सहारे बढ़ाना चाहते हैं।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी रामदेव के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 196(1)(ए) और 299 के तहत FIR की मांग करते हुए कहा कि यह बयान धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला और असंवैधानिक है।
रामदेव का बचाव
18 अप्रैल 2025 को रामदेव ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा, “मैंने किसी खास ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया। रूह अफजा वालों ने खुद ‘शरबत जिहाद’ का ठप्पा अपने ऊपर ले लिया। अगर वे इस्लाम के प्रति समर्पित हैं और मस्जिद-मदरसे बना रहे हैं, तो उन्हें खुश होना चाहिए।” हालांकि, इस बयान ने विवाद को और हवा दी।
रामदेव का विवादों से पुराना नाता
यह पहली बार नहीं है जब रामदेव विवादों में घिरे हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के मामले में उन्हें फटकार लगाई थी। अप्रैल 2024 में रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी थी, जब कोर्ट ने उनके दावों को ‘झूठा’ और ‘एलोपैथी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस’ करने को गैर-जिम्मेदाराना बताया। कोर्ट ने उनकी माफी को शुरू में खारिज कर दिया था, लेकिन अगस्त 2024 में माफी स्वीकार करते हुए अवमानना कार्यवाही बंद कर दी।
2022 में भी रामदेव ने महिलाओं के कपड़ों पर टिप्पणी के लिए माफी मांगी थी, दावा करते हुए कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया।
क्या होगा आगे?
दिल्ली हाईकोर्ट ने रामदेव के बयान को गंभीरता से लेते हुए कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह इस मामले में सख्त आदेश जारी कर सकता है। हमदर्द की याचिका और दिग्विजय सिंह की शिकायत के आधार पर रामदेव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सोशल मीडिया पर भी #SharbatJihad और #BoycottPatanjali जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जो जनता के बीच इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि रामदेव का यह बयान न केवल उनके ब्रांड की साख को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि सामाजिक तनाव को भी बढ़ा सकता है। कानूनी और सामाजिक दबाव के बीच रामदेव के अगले कदम पर सभी की नजरें टिकी हैं। क्या वे एक बार फिर माफी मांगेंगे, या कोर्ट की कार्यवाही का सामना करेंगे? यह देखना बाकी है।